श्री महाकालेश्वर मंदिर में चरितार्थ होती कहावत ‘‘घर का भेदी लंका ढाय’’ मंदिर का कर्मचारी ही मंदिर की आय को चम्पत लगाए,  मंदिर समिति को लाखों रुपए का लग रहा बट्टा

कलेक्टर ने बाहरी प्रदेश के दर्शनार्थियों पर लगाया प्रतिबंध, कर्मचारी करा रहे हैं खुल्लम खुल्ला उल्लंघनअग्नि साक्षी उज्जैन । विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में हर चीज चर्चाओं से सुनहरी होती है काम भी इतने चमत्कारी की आम आदमी और यहां तक कि कलेक्टर भी देख कर दंग रह जाएं। कोरोना संक्रमण काल में उज्जैन का ग्राफ बढ़ता देख जिला कलेक्टर ने मंदिर प्रशासन को आदेश दिया था कि बाहरी प्रदेश से आने वाले दर्शनार्थियों का मंदिर में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया जाए। तथा 250 रूपये के टिकट विक्रय के समय टिकट खरीदने वाले की आईडी चेक की जाए। इस प्रतिबंध का शुरू-शुरू के हफ्ते में बहुत तगड़ा पालन हुआ। पर कहते हैं ना शैतान हर ताले की चाबी बना लेता है। मंदिर के कर्मचारियों ने बैठे-बैठे डी गेट और शंख द्वार से बहारी प्रदेश के कर्मचारियों को सेटिंग से अंदर कराना आरंभ कर दिया। इसके एवज में मोटी रकम लॉक डाउन का घाटा मंदिर समिति भले ही पुरा ना कर पाई हो पर कर्मचारी लगता है पूरा करके मानेंगे। कलेक्टर के इस प्रतिबंध का कर्मचारी खुल्लम खल्ला उल्लंघन कर रहे हैं और समिति को लाखों रुपए का बट्टा लग रहा है, तो फिर समिति इस प्रतिबंध को हटाती क्यों नहीं?
पुष्कर के पांच युवकों ने डी गेट से प्रवेश किया, बचा हुआ एक शंख द्वार से पकड़ाया और राज खुल गया
कलेक्टर के आदेश अनुसार डी गेट से और शंख द्वार साथ ही ऑनलाइन बुकिंग तीनों जगह पर बाहरी प्रदेश का यात्री प्रतिबंधित है, पर दिन भर तो कलेक्टर महोदय डी गेट पर खड़े रहने से रहे। आदेश कलेक्टर महोदय दे सकते हैं पालन कराने वाले तो मंदिर के कर्मचारी ही होते हैं। कल सुबह 11:00 बजे के लगभग पुष्कर के पांच युवकों को दी गेट से बाबा के दर्शन हेतु पैसा लेकर प्रवेश करा दिया गया। उनका एक साथी इस डील के अंदर पीछे छूट गया जब अन्य साथी अंदर चले गए तब उसने फोन से संपर्क किया और उसे डी गेट के कर्मचारियों ने शंख द्वार भेज दिया। शंख द्वार पर उसने प्रवेश हेतु लेन-देन करना चाहा, गेट पर मंदिर समिति के कर्मचारियों ने उसे समझाया कि बाहरी प्रदेश के आदमी का प्रवेश निषेध है तब उसने यहां बताया कि उसके 5 साथी ऊपर वाले गेट से अंदर जा चुके हैं उसके बाद वहां ड्यूटी पर कार्यरत कर्मचारियों ने उसे पकडक़र अंदर कंट्रोल रूम ले गए। कंट्रोल रूम पर यह बात सहायक  प्रशासक प्रतीक द्विवेदी को बताई गई। उन्होंने इस संबंध में ऊपर से जानकारी मांगी और पुष्कर के इस युवक को समझा-बुझाकर कंट्रोल रूम से रवाना कर दिया। सूत्र बताते हैं कि उक्त युवक को अनिल लश्करी ने पकड़ा था तथा उससे जानकारी लेने के पश्चात उसे वह कंट्रोल रूम ले गए और पूरे मामले का पटाक्षेप किया। अधिकारियों की नजर में मामला आ गया था और अधिकारियों ने अंदरूनी जांच भी इसमें कि पर चूंकि मामला मंदिर का था इज्जत खराब होती साथ ही बाहर के प्रदेश के लोगों में गलत मैसेज आता इसलिए मामले को सफेद चादर से ढक दिया। गया ज्ञात हो कि यह मामला मंदिर की एक अन्य प्रशासक के भी जानकारी में है इसी के कारण वह प्रशासक दोपहर में 2:00 बजे से डी गेट पर बैठ गए थे ताकि अन्य कोई इस तरह की गतिविधि अंजाम ना दे पाए। मंदिर के जिम्मेदार अधिकारियों को पुष्कर के इस युवक ने जो राज खोला मंदिर के सहायक प्रशासक महोदय को उन कर्मचारियों पर कार्यवाही करना चाहिए जो डी गेट से धड़ल्ले से बाबा श्री महाकालेश्वर के खजाने पर डाका डाल रहे हैं। इसे राजनीति सूत्रों द्वारा बाहर आते हैं पर मंदिर समिति उस पर दया या फिर मैंने कुछ नहीं देखा तू कर ले आदत को चरितार्थ कर घर के भेदी से लंका ढा रही है। इसके पूर्व भी उत्तर प्रदेश के 8 दर्शनार्थियों को नंदीहाल से कर्मचारियों ने उनकी बातचीत के आधार पर ट्रेस किया था। दर्शन करने के बाद जब इनकी आईडी कर्मचारियों ने देखी तो वह उत्तर प्रदेश के पाए गए। इस तरह की वारदात बता रही हैं कि अभी सबसे ज्यादा लंबा माल डी गेट पर ही छप रहा है।
इससे अच्छा कलेक्टर महोदय बाहरी प्रदेश के यात्रियों पर लगाया गया प्रतिबंध खोल दें, लाखों रुपए का काउंटर घाटा हो रहा है
एक और कलेक्टर महोदय उज्जैन की जनता को कोरोना वायरस से निजात दिलाना चाहते हैं इसी हेतु वह कहीं प्रतिबंधात्मक कदम उठा रहे हैं। उसी में से एक कदम यह था कि मंदिर के अंदर बाहर प्रदेश के यात्रियों का प्रवेश प्रतिबंधित किया गया पर देखने में यह आ रहा है कि कलेक्टर महोदय के उसको दृश्य को मंदिर कर्मचारी पूर्ण नहीं होने देना चाहते। इससे अच्छा हो कि कलेक्टर महोदय स्वयं बाहरी प्रदेश के यात्रियों का प्रवेश खोल दें। ज्ञात हो कि बाहरी प्रदेश की यात्रियों का प्रवेश जब मंदिर में खुला रहता है तब लाखों रुपए की काउंटर टिकट बिकती है अधिकांश टिकट खरीदने वाले बाहरी यात्री होते हैं। उज्जैन का यात्री जुगाड़ करके वीआईपी या प्रोटोकॉल के माध्यम से अंदर प्रवेश कर जाता है। वही वीआईपी और प्रोटोकॉल संभालने वाले कर्मचारी अब इन बाहरी दर्शनार्थियों को अंदर प्रवेश कराकर पैसा कमा रहे हैं। नुकसान मंदिर का हो रहा है। बीमारी उज्जैन शहर की जनता भोगे और कर्मचारी बेशर्मी का सहारा लेकर लूट करें इससे अच्छा होगा कि कलेक्टर महोदय भारी प्रदेश की यात्रियों के लिए भी टिकट घर खोल दें।
बाहरी प्रदेश का यात्री कोरोना जांच का 72 घंटे के अंदर का सर्टिफिकेट पेश करे तो शासन को प्रवेश देना चाहिए
जैसा कि उत्तराखंड में हो रहा है चार धाम यात्रा में उन्हीं लोगों को अनुमति दी जा रही है जो 72 घंटे पूर्व तक अपना कोरोना टेस्ट करा कर आए हैं। ऐसा ही कोई नियम मंदिर प्रशासन भी बना सकता है या त्वरित कोरोना जांच के माध्यम से भी बाहर यात्री को प्रवेश दिया जा सकता है। शासन को केदारनाथ मंदिर प्रशासन के नियम को संज्ञान लेना चाहिए।