संडे लॉक डाउन- नए शहर में शोर नहीं, पुराने शहर में प्रशासन का कोई जोर नहीं

अग्नि साक्षी उज्जैन । कोरोना महामारी को देखते हुए मध्यप्रदेश शासन द्वारा आदेश दिया गया है कि प्रत्येक रविवार को संपूर्ण मध्य प्रदेश के सभी शहरों, जिलों एवं ग्रामीण अंचल में पूर्ण लॉक डाउन रहेगा। जिसके चलते उज्जैन में भी विगत तीन हफ्तों से संडे लॉक डाउन चल रहा है। संडे लॉकडाउन में जहां एक ओर नए शहर में इसका पूर्ण रूप से पालन होता है वहीं दूसरी ओर पुराने शहर में इसका खुलकर विरोध हो रहा है। संडे लॉकडाउन से 1 दिन पूर्व ही शनिवार को 27 कोरोना पॉजिटिव मरीज उज्जैन शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में आए। इसमें गौर करने वाली बात यह है कि 27 में से 15 कोरोना पॉजिटिव मरीज ग्रामीण अंचल के थे एवं 12 शहरी क्षेत्र के। जिससे स्पष्ट हो रहा है कि अब कोरोना ने अपने पैर ग्रामीण अंचलों तक  पसारना शुरू कर दिए हैं। ग्रामीण इलाके के लोग अपने कार्य से शहर की ओर आते हैं, शहरी लोगों से संपर्क में आने के बाद वह पुन: अपने गांव जाते हैं जिससे यह संक्रमण शहर से गांव की ओर अब जाने लगा है। एक ओर  प्रशासन यह दिखाने में लगी है कि वह कोरोना के लिए अत्यंत ही कड़े कदम उठा रहा है, किंतु नए शहर जैसे कि फ्रीगंज, नानाखेड़ा, महानंदा, महाश्वेता नगर इलाकों में लोक डॉउन का पूर्ण रुप से समर्थन किया जा रहा है। लोगों ने अपनी दुकानें, व्यवसायिक संस्थान एवं स्वयं घरों से निकलना बंद किया। वहीं दूसरी ओर पुराने शहर जैसे कि श्री महाकाल मंदिर क्षेत्र, भूखी माता मंदिर क्षेत्र, कोट मोहल्ला, नागौरी मोहल्ला एवं बेगम बाग कॉलोनी क्षेत्र  खुलकर विरोध करते रहे। बेगम बाग कॉलोनी क्षेत्र में तो हालात यह है कि लोग अपने घरों के बाहर खुल्लम-खुल्ला घूमते रहे। बेधड़क बे-रोकटोक बच्चे सड़कों पर घूमते रहे। कई दुकानों की आधी शटर खुली हुई थी जहां से वह अपना काम चला रहे थे। कई गैरेज खुले हुए थे जहां गाडिय़ों की धुलाई सड़कों पर हो रही थी। इसके ठीक सामने पुलिस जवान बैठे थे किंतु उनके द्वारा इन दुकानों को रोकने का कोई प्रयास नहीं किया गया। सड़कों पर खुले में लोग बेरोकटोक घूम रहे थे, ना चेहरे पर मास्क था ना किसी अन्य साधन से चेहरे को ढका गया था। श्री महाकालेश्वर मंदिर के सामने भी कुछ युवकों का झुंड खड़ा रहा और वह उत्पात मचा रहा था जिसे देखकर महाकाल चौकी पर बैठे निरीक्षक को भी ताव में आकर उन्हें डांट-फटकार लगाना पड़ी। जिसके बाद वह वहां से हटे।
 उज्जैन में कोरोना का कहर दोबारा से अपने चरम पर पहुंचने की ओर बढ़ता जा रहा है। मरीज नए-नए इलाकों में निरंतर मिलते जा रहे हैं। नई-नई जगहों पर नए-नए लोगों के संपर्क में आने से यह खतरा और अधिक बढ़ते जा रहा है।
 अनलॉक होने के बाद से लोगों का जैसे की कोरोना से विश्वास ही उठ गया है, उन्हें अब लगने लगा है कि शहर में कोरोना पूरी तरह से खत्म हो चुका है। जिसके लिए वह बिना किसी इंतजाम के बिना अपने मुंह को ढके, बीना सेनेटाईज का उपयोग करें, बिना सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए शहर में घूम रहे हैं जो कि कोरोना को खुला निमंत्रण है। शासन एवं प्रशासन को जहां एक ओर इस तरह के हालात ना बनने के लिए कड़ी कार्रवाई करना चाहिए। अपने बल को हर चौराहे पर हर सड़कों पर तैनात करना चाहिए। वहीं आम जनता को भी समझना चाहिए कि शासन-प्रशासन का सहयोग हमें स्वयं भी करना होगा और हमें भी सरकार द्वारा जारी की गई कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए ही घर से बाहर निकलना होगा। जब हमें कोई अति आवश्यक कार्य ना हो तो बेवजह तफरी करने के लिए सड़कों पर नहीं निकले। खासकर शहर के युवा जो बेवजह संडे लॉक डाउन होने के बावजूद भी अपने साथियों के साथ सड़कों की तफरी करने निकल जाते हैं उनका मकसद सिर्फ आवारागर्दी करना होता है। उन्हें शहर की शांति और शहर के वातावरण का कोई फर्क नहीं पड़ता। सरकार चाहे कितने भी चालान क्यों न काट दे, धारा 188 के तहत ही कार्रवाई क्यों न कर लें मगर यह शहर में घूम रहे हैं जब तक इन पर कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती यह इसी तरह उत्पात मचाते रहेंगे। प्रशासन को इस ओर ध्यान देते हुए कार्रवाई करना चाहिए एवं जिन इलाकों में कोरोना के मरीज अधिक मिल रहे हैं उन इलाकों में अधिक सख्ती बरतते हुए नए नियमों के साथ कार्रवाई करना चाहिए।