श्री महाकालेश्वर मंदिर तहसीलदार पुजारी विवाद, पुजारी और प्रतिनिधि के प्रवेश पर प्रतिबंध, दर्ज हो सकती है एफआईआर

पूर्व में 5 इंदौरी, वर्तमान में भाजपा नेता गोलू शुक्ला के मंदिर प्रवेश उल्लंघन पर प्रशासन का रुख नर्म और पुजारी पर गर्म
उज्जैन । श्रावण मास पर निकलने वाली बाबा श्री महाकालेश्वर महाराज की सवारी को लेकर लगातार बहस बाजी का केंद्र बना पूजन सभा स्थल आखिरकार एफआईआर में परिणित होने को तैयार है। इसी मामले को लेकर मंदिर प्रशासक सुजान सिंह रावत ने पुजारी विजय गुरु व उनके प्रतिनिधि गोपाल शर्मा के मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। फुटेज देखने के बाद  यह बात प्रमाणित हुई कि पुजारियों ने शासन द्वारा निर्धारित नियमों का उल्लंघन किया और अधिकारी से बदतमीजी की इसी के तहत उन्हें कल प्रशासक के आदेश से कर्तव्य स्थल से विमुख कर दिया गया है, जब तक जांच पूर्ण नहीं हो जाए तब तक आदेश हेतु उनका प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है।
प्रत्यक्षदर्शी अनुसार गोपाल ने शासकीय कर्मचारियों से की थी धक्का-मुक्की, बाद में विजय पुजारी भी साथ था
सोमवार को हुए घटनाक्रम में जब पुजारी गोपाल अपने एक साथी को पूजन स्थल में प्रवेश करा रहा था तब उसे तहसीलदार पाटिल ने रोका और पुलिसकर्मी ने भी पास नहीं होने की स्थिति में उन्हें बाहर जाने को कहा। पर इन्होंने शासकीय अधिकारी को धक्का देकर अंदर प्रवेश कर लिया। बाद में मामले ने तूल पकड़ा पुलिस कप्तान भी आए और मामले को हलिया तौर पर तो रफा-दफा कर दिया गया पर क्योंकि की बदतमीजी की हद पूजा सभागृह में लगातार बढ़ती हुई देखकर प्रशासन ने अंतत सख्त निर्णय लेते हुए इन दोनों को हटा दिया है। मामला जांच में है सीसीटीवी फुटेज में यदि यह पाया जाता है कि उन्होंने शासकीय कर्मचारियों को धक्का दिया तो दोनों पुजारी और प्रतिनिधि पर धारा 353, शासकीय कार्य में बाधा का प्रकरण दर्ज किया जाएगा इतना तय है।
2 वर्ष पूर्व न्यायधीश से भी झगड़ चुका है विजय पुजारी, पुजा कम दादागिरी ज्यादा चलती है मंदिर में
शनि मंदिर निवासी विजय शर्मा पुजारी का पूर्व रिकॉर्ड मंदिर में अच्छा नहीं है। मंदिर के सूत्र बताते हैं कि विजय पुजारी मंदिर में आदतन झगड़ालू है। 2 वर्ष पूर्व इन्होंने एक न्यायाधीश महोदय से भी बदसलूकी और बदतमीजी की थी। मामले ने तूल पकड़ा और जब संबंधित न्यायधीश कायमी करा रहे थे तो इनके भाई महेश पुजारी ने हाथापाई जोड़कर उक्त न्यायाधीश को क्षमा मांग रहम की गुजारिश की और मामला अन्य पुजारियों के हस्तक्षेप से शांत हुआ। ज्ञात हो कि पटले पर बैठकर दादागिरी करना इनका शौक है। भक्तों को गाली तक पाटले पर बैठ कर दे दी जाती है। गर्भ गृह में जाने क्यों इन लोगों के अंदर अहंकार दुगना हो जाता है। साधु-संत ऋ षि मुनि, महिला, मान-सम्मान सब भूल जाते हैं। गर्भ गृह के बाहर निकलने के बाद यह पुन: सामान्य हो जाते हैं। लोग इसलिए रहम खा जाते हैं कि ब्राह्मण हैं पर जिस तरह का इन लोगों का व्यवहार है उस तरह से स्पष्ट होता है कि है श्री महाकालेश्वर मंदिर गर्भ गृह में भी अहंकार छोडऩे को तैयार नहीं।
मनचले का टैग भी लग चुका है विजय पुजारी पर
विजय पुजारी हर विद्या में पारंगत हैं अभी कुछ वर्ष पूर्व ही एक दैनिक अखबार ने उन्हें मनचले की उपाधि भी प्रदान की थी उस संबंध में समाचार छपा था कि यह मंदिर में आने वाली महिलाओं का पीछा करते हुए प्रसाद का पैकेट लेकर उनके घर तक पहुंच जाते थे। उस समय भी इनकी बहुत किरकिरी हुई थी पर मामला संभाल लिया गया था।
कुल 12 लोगों के पास बने हैं पंडे-पुजारियों के, बाकी सब क्या वैध या अवैध?
मंदिर प्रशासन कुल 12 पंडे पुजारियों के पास कोरोना वायरस संक्रमण काल को देखते हुए सीमित मात्रा में जारी किए हैं। उसमें से भी पंडितों के पास प्रारंभिक अवस्था में 2 लोगों के पास बने हुए थे बाद में दो और बने हैं, तो पालकी के साथ बाकि चलने वाले पंडे पुजारी क्या अवैध हैं? जिस दिन विवाद हुआ उस दिन तहसीलदार पाटिल के हाथ में जो लिस्ट थी उसमें कुल 12 लोगों के प्रवेश के नाम से उसके अलावा फिर विवाद की स्थिति कैसे निर्मित हुई यह बड़ा प्रश्न चिन्ह है। मंदिर प्रशासक को चाहिए कि वह स्थिति को स्पष्ट करें कि क्या पंडित पुजारी भी सवारी में जाने की वैधता रखते हैं या नहीं? सूत्र बताते हैं कि इस संबंध मे प्रशासक महोदय भी अधिकांशत चुप्पी साध लेते हैं।
लगातार चार सवारी से हो रहा था विवाद, कायमी पर जाकर रुका या बढ़ेगा?
श्री महाकालेश्वर मंदिर की निकलने वाली सवारी कोरोना संक्रमण के कारण परिवर्तित मार्ग और परिवर्तित संख्या से निकल रही है इस हेतु मंदिर प्रशासन ने संख्या निश्चित निर्धारित कर रखी है। बाबा की पहली सवारी से ही मंदिर सभा मंडप में लगातार विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है। यह स्थिति श्रावण के चौथे सोमवार को भी हुई। पर इस बार विवाद ने उग्र रूप धारण   किया। 
नेताओं से तगड़ी पकड़ रखते हैं पुजारी, इसलिए डरता है प्रशासन और पुलिस विभाग
बाबा श्री महाकालेश्वर के पुजारी होने के कारण अधिकांश शासकीय अधिकारी पुजारियों के परिचित होते हैं, इसलिए प्रशासन कोई भी कार्यवाही करने के पहले डरता है। एक मंदिर प्रशासक तो यहां तक कहते थे कि इन पुजारियों से विवाद नहीं करना नहीं तो यह ट्रांसफर करा देते हैं, क्योंकि इनकी नेताओं से तगड़ी पकड़ होती है। प्रशासन और पुलिस इसीलिए नमस्ते करके निकल जाती है। कोई घटना होने पर हाथ पैर जोड़ा-जोड़ी की रस्म अदा हो जाती है और मामले को ठंडा कर दिया जाता है। इसी कारण लगातार इस तरह की बदतमीजीया मंदिर में बढ़ रही हैं। आम आदमी इसलिए माफ कर देता है कि पुजारी है अन्यथा झगड़ा कभी भी विकराल रूप ले सकता है।
कई बार पूरे परिवार पर लग चुके हैं मंदिर में दादागिरी के आरोप
विजय शर्मा निवासी शनि मंदिर के परिवार पर कई बार दादागिरी के दाग मंदिर परिसर में लग चुके हैं, लेकिन यह परिवार है कि मानता नही। मंदिर समिति भी कभी इन पर एक्शन नहीं ले पाती है वह तो इस बार तहसीलदार और पुलिसकर्मी से यह लोग भीड लिए अन्यथा इस बार भी मामला रफा-दफा हो जाता हो जाता। 
श्री महाकालेश्वर के नाम का खाते हैं, उसकी ही नहीं बजाते हैं विजय पुजारी
श्री महाकालेश्वर मंदिर में यूं तो हर पर्व पर पूजा, अनुष्ठान किया जाता है पर शनि प्रदोष का विशेष महत्व रहता है। अधिकांशत: देखने में आया है कि शनि प्रदोष की पूजा के दिन 11 ब्राह्मणों द्वारा रुद्राभिषेक किया जाता है इस क्रम में कोटेश्वर महादेव में भी 11 पुजारी उपस्थित होकर विधिवत रूप से पहले कोटेश्वर महादेव का रुद्री के मंत्रों से रुद्राभिषेक पूजन करते हैं। पर इस जगह पर भी विजय पुजारी उपस्थित नहीं होते हैं मतलब जिसके नाम से दुकानदारी चल रही है उसको भी यह परिवार नहीं छोड़ रहा है। ऐसे में इनसे मंदिर परिसर में स्वस्थ संचालन परंपरा की उम्मीद रखना नाइंसाफी है जो धन वैभव अहंकार इन्हें श्री महाकालेश्वर बाबा की कृपा से मिल रहा है। उस के दरबार में भी अपने कर्म को नहीं बचा पा रहे हैं। 
निलंबन की अवधि में पुजारियों को फर्क नहीं पड़ता है
विजय पुजारी को मंदिर में प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है और निलंबन किया गया है मंदिर की व्यवस्था के अनुसार उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा यह अन्य विभागों के निलंबन से अलग होता है। इसमें उनके पाटले पर अन्य प्रतिनिधि महेश पुजारी बैठेंगे या किसी अन्य को बदली के ऊपर बिठा दिया जाएगा। अर्थात उनको मिलने वाली तनख्वाह चढ़ावा सब कुछ मिलेगा सिर्फ उनके मंदिर आने पर प्रतिबंध रहेगा और कुछ नहीं अब इसे किस तरह का निलंबन कहा जाए यह समझ से परे है?
 पूर्व में 5 इंदौरी, वर्तमान में भाजपा नेता गोलू शुक्ला पर प्रशासन का रुख नर्म और पुजारी पर गर्म
लॉक डाउन की 3 महीने की अवधि में मंदिर प्रशासन ने दो बार एफआईआर दर्ज करने के संबंधित आवेदन महाकाल थाने भेजे हैं। इसमें पांच इंदौरी युवक जो नंदीहाल में पहुंचकर फोटो सेशन कर रहे थे और अभी हाल ही में नाग पंचमी पर भाजपा के दबंग नेता गोलू शुक्ला भी प्रतिबंधित नागचंद्रेश्वर मंदिर में फोटो सेशन करते हुए पाए गए। पर प्रशासन ने अभी तक इन दोनों मामले में कोई प्रगतिशील कार्यवाही नहीं की है वही पुजारी विजय शर्मा और अर्पित उफऱ् गोपाल पर निलंबन की गाज गिरा दी गई है। संभव है जांच में एक-दो दिन में एफआईआर भी दर्ज हो जाए। अब देखना यह है कि पिछले दो आदेशों में सक्रियता कब सामने आती है अर्थात प्रशासन एक्शन मोड में कब आता है।
गोलू शुक्ला वाले मामले में अभी तक थाने पर नहीं पहुंचा है प्रतिवेदन
नाग पंचमी के चर्चित उल्लंघन को लेकर गोलू शुक्ला और अन्य साथी के ऊपर एफआईआर दर्ज करने के कलेक्टर के आदेश को शायद जाम लग गया है मंदिर प्रशासक महोदय से इस संबंध में आवेदन अभी तक थाने नहीं पहुंचा है इस संबंध में कल ही सीएसपी और थाना प्रभारी ने पुष्टि की थी।