अग्नि साक्षी उज्जैन। उज्जैन में टाटा कंपनी ने नम्बर 2017 में उज्जैन में 400 किमी की सीवरेज लाइन बिछाने और ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने का काम लिया गया था। किन्तु 3 साल का समय बीत जाने के बाद भी अभी तक टाटा प्रोजेक्ट लाइन बिछाने के काम में असफल साबित हो रहा है। टाटा की इसी लेतलाली के चलते नगर निगम द्वारा कई बार जुर्माना भी लगाया जा चुका है, इसके बाद भी टाटा लोगो को सिर्फ बाय-बाय करते नज़र आती है। लॉक डाउन के चलते वैसे ही काम 3 महीने बन्द रहा लेकिन निगम की अनुमति के बाद काम शुरू होने पर भी टाटा द्वारा कोई खास फुर्ती न दिखाकर सिर्फ मक्कारी से ही खाना-पूर्ति के काम किया जा रहा है। जहाँ-जहाँ सीवरेज के लिये गड्ढे खोद दिए गए थे नियमानुसार उन पर सीमेंट कंक्रीट की पक्की सड़क बनाया जाना था किंतु 1 साल से अधिक हो जाने के बाद भी आलम वही का वही है।
सिमेंट के पक्के काम की जगह सड़को पर बिछा दिया चूरण पाउडर1 साल पहले जो सीवरेज की लाइन खोद कर छोड़ दी गई थी उन्हें एक साल से अधिक समय हो जाने के बावजूद अभी तक सीमेंट कॉन्क्रीट से पक्का नही किया गया है, सीमेंट की जगह सड़क पर कचरे वाला गिट्टी माल डाल दिया गया। जो कि एक बारिश में ही अपनी जगह छोड़ देगा और जगह-जगह गंदगी पसर जाएगी।
कोरोना संक्रमण को न्यौता देते बिना मास्क के मजदूर- गिट्टी मुरम का कचरा बिछाने आये मजदूर में अधिकांश महिला कर्मचारी थी जिनमे से किसी ने भी ना तो अपने मुहँ पर मास्क लगा रखा था और न ही किसी अन्य कपड़े से अपने मुँह को ढककर रखा था, जबकि कोविड-19 की केंद्र और राज्य सरकार की गाइड लाइन में साफ कहा गया है कि घर से बाहर निकलने वाले प्रत्येक व्यक्ति को चेहरे पर मास्क या अन्य किसी कपड़े से आने मुँह को ढककर रखना होगा जिससे वह स्वयं और उनके सम्पर्क में आना वाला कोई भी व्यक्ति कोरोना संकमण से सुरक्षित रहे। लेकिन टाटा द्वारा शायद अपने कर्मचारियों को इस बात को नही बताया गया वरना ये दिहाड़ी मजदूरी वाले यूं ही अपनी जाम जोखिम में डालकर काम नही कर रहे होते।
निगम अधिकारी कब होंगे सख्त- लेतलाली और लगातार काम मे हो रही देरी के लिए उज्जैन नगर निगम अधिकारी कब अपना रवैया सख्त करेंगे और टाटा को अपने काम से हटाकर किसी अन्य कंपनी को इस कार्य को करने के जिम्मेदारी देंगे। कई बार लाखो रुपये का जुर्माना भी टाटा के लिए ऊंट के मुँह में जीरे जैसा ही है, अब निगम को जुर्माने से बढ़कर कोई कार्यवाही करते हुए टाटा को कड़ा संदेश देना जरूरी है।