सूबे के मुखिया माननीय शिवराज सिंह चौहान मैं मानता हूँ यह मामला शायद अभी तक आपके संज्ञान में नहीं आया होगा पर मैं आपको स्पष्ट करा देता हूं।
कि आप के अधिकारियों ने किसानों द्वारा खेत में अपशिष्ट नरवाई जलाने पर बड़ा भारी जुर्माना किसानों पर थोप दिया। साहब किसानों की मेहनत की गेहूं चने को पानी में सढ़ाने वाले अधिकारियों पर जुर्माना कब लगाओगे...? आप मेरी आवाज को अपने खिलाफ धुर-विरोधी न समझे मैं तो केवल आपको सचेत करना चाहता हूँ।
पूरा मामला मामला क्या है :-
पूरा मामला किसान और प्रशासन के इर्द-गिर्द ही देखने को मिलता है जिसमें क्षति किसानों को ही होती है। चौतरफा मारे किसानों को अधिकारी भी नहीं भक्ष रहे हैं वे अपनी पावर का उपयोग करते वक्त किसानों की मजबूरी ओर विवस्ता का भी ध्यान न रखते हुए फैसले ले रहे हैं। में आप को अवगत कराता हूं ऐसे फैसले से जो किसानों के लिए मुझे लगता है प्रतिशोध की भावना से लिए गए हो ऐसा प्रतीत होता है। मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के अलग-अलग 7 गांवों में किसानों द्वारा नरवाई जलाने पर प्रशासन द्वारा 50 किसानों पर ₹3लाख60000 का जुर्माना लगाया गया ।मैं इस फैसले के खिलाफ नहीं हूं और ना ही उन अधिकारियों के खिलाफ हूं पर फैसले किसानों के हितों को ध्यान में रखकर न लिया जाए और केवल चिन्हित लोगों को ही बलि का बकरा बनाया जाए तो कतई बर्दाश्त नहीं होगा। प्रशासन को लगता है कि नरवाई जलाना गलत है तो आपके फैसले भी वाजिब है पर पूरे सूबे में 80% से अधिक तक की नरवाई खेत में ही जला दी गई जब संविधान सबके लिए समान है तो जुर्माना सब पर सामान क्यों?नहीं हो सकता है सब पर समान रूप से जुर्माना होना चाहिए तो फिर चुनिंदा किसानों पर ही पूरा जुर्माना क्यों थोपा गया क्या आपके पास कोई जवाब है।
यह वह लिस्ट है जिसमें वे किसान भाई है जिन पर अधिक जुर्माना लगाया गया-
हलगावडा- व्याप्त सिंह सुखदेव 15000
हलगावडा- चंदा लालचंद धाकड़ 5000
हलगावडा- घनश्याम राम मुकुर मीणा 15000
हलगावडा- भेरूलाल राधेश्याम मीणा 15000
मानपुर - कमरिया कल्लू 5000
जेनी - परीक्षित बनवारी मीणा 5000
चैडपुर- कुंजबिहारी अशोक 25000
चैडपुर - गप्पूदास रामस्वरूप बैरागी 15000
चैडपुर - रमेश पुजारी 5000
चैडपुर फरियाद मुन्वर 5000
किसान जबरदस्ती नरवाई नहीं जलाता है पर लोगडाउन की वजह से खराब स्थिति के कारण उन्हें ऐसा करना पड़ा।
क्यों जलानी पड़ी नरवाई-
प्रशासन का आदेश है कि नरवाई को न जला कर भूमि में ही दबा दिया जाए फैसला काफी हद तक सही भी है।
पर किसानों की खराब स्थिति की वजह से किसान भाई ऐसा नहीं कर सके नरवाई को जमीन में दबाने के लिए काफी खर्चा व मशक्कत करनी पड़ती है जिसके लिए 4000-4500 का अतिरिक्त बोझ पड़ता है और नरवाई को जमीन में न दबाने का एक बड़ा कारण है।
सरकार की तरफ से सही दिशा निर्देशों का ना होना और नरवाई के कारण बुवाई में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
अधिकारियों पर जुर्माना कब लगेगा?-
जब किसान न चाहते हुए गलती करता है तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जाता है ओर जब अधिकारियों द्वारा गलती हो जाए तो उन पर जुर्माना कब लगेगा? क्या नियम कानून और फैसले किसानों पर ही लागू होते हैं।
मौसम के करवट बदलने से कई जगह पानी गिरा जिससे किसानों का और सरकारी नुकसान हुआ नुकसान की वजह है सही प्रबंध का न होना जिसके कारण किसानों के गेहूं-चने व सरकारी सोसाइटी की गेहूं पानी में भीग गए।
अब तो सरकार को भी सामने आना पड़ा और कहा कि 0.13% नुकसान हुआ पानी के कारण हालांकि आंकड़े को सही नहीं माना जा सकता है और किसानों के गेहूं का कितना नुकसान हुआ सोसाइटी में हम्मलि ओर तुलावटी के कारण उनका आंकड़ा अभी तक सामने नहीं आया है।
अधिकारियों की गलती-
जिस तरह किसानों पर सख्त फैसले लिए गए उसी तरह अगर सोसायटी अधिकारी कुछ फैसले लेकर पुख्ता प्रबंध कर लेते तो मैं देश का इतना नुकसान न होता और ना ही किसानों का नुकसान होता।
क्योंकि सरकार तो केवल दिशा निर्देश देती है बाकी प्रबंध कार्यप्रणाली तो अधिकारी ही देखते हैं अगर अधिकारी किसानों की लंबी लाइनों का अनाज तूलवाने में थोड़ी फुर्ती दिखा देते तो शायद किसान के गेहूं और चने पानी में नही भीगते जबकि मौसम विभाग भी अलर्ट कर चुका था और सरकार ने भी कुछ न कुछ दिशा-निर्देश दिए ही होंगे परंतु फिर भी अधिकारियों द्वारा पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए और नुकसान झेलना पड़ा अधिकारियों पर इन गलतियों का जुर्माना कब लगेगा साहब किसानों के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा।
जय हिंद
लेखक -:
जितेंद्र पाटीदार "जीतू" ग्राम फर्नाखेड़ी