(बिना किसी मास्क या अन्य कपडे से अपने मुँह को ढककर मिडिया से रूबरू होते हमारे योद्धा )
अग्नि साक्षी उज्जैन । विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग विगत 79 दिनों बाद हरि और हर भक्त और भगवान के मिलन को देखकर अति प्रसन्न आनंदित प्रफुल्लित लेकिन अच्छाई के साथ बुराई निश्चित आती है, शायद यह उज्जैन का दुर्भाग्य ही है कि जहां एक और प्रशासन के आला अधिकारियों ने अपनी नौकरी और जीवन को दांव पर लगाकर जैसे-तैसे उज्जैन शहर को कोरोना वायरस से होने वाले संक्रमण को धीमा किया है। इस क्रम में कई समाज सेवक पुलिस अधिकारी तक शहीद हुए हैं। क्या उनकी शहादत सिर्फ हंसी ठिठोली थी? क्या 2 दिन में हम उन्हें भूल गए? यदि जिम्मेदार लोग स्वयं जानबूझकर गलती करें और प्रशासनिक अधिकारी मौन बन कर देखें तो ऐसा प्रतीत होता है मानो कौरवों की वही सभा जहां पर द्रोपदी का चीर हरण होता रहा और सभी बड़े-बड़े योद्धा चुपचाप देखते रहे। श्री महाकालेश्वर मंदिर में भी यह घटना लाइव चली उसके बाद भी अला अधिकारियों ने अभी तक मामले को संज्ञान में नहीं लिया है। क्या इस बार महाकाल की सभा में दुर्योधन महेश पुजारी रूपी शक्ति विजयी हुई है और न्याय हार गया? और यदि नहीं तो महाकाल मंदिर के नंदी गृह में बिना मास्क लगाए सोशल डिस्टेंस का पालन किए बिना एक ज्ञानी पुजारी पहले तो नंदी भगवान के सामने ड्यूटीरत अधिकारी से सट के बात करता है, फिर वह पटिया पर बैठे दूसरे पुजारी कमल गुरु जो स्वयं भी मास्क को नीचे खसका कर बैठे हैं के पास हाथ हिला-हिला कर अपने आप को इस तरह प्रदर्शित कर रहे हैं जैसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के हीरो रहे हो या शायद इन्होंने घर में ही कोविड-19 वायरस की दवा खोज ली हो। उनकी बेशर्मी यहीं खत्म नहीं हुई कुछ आखरी वाले रेलिंग पर जाकर ड्यूटीरत महिला कर्मचारी मामी जी और प्रेमलता यादव के पास भी वह मुंह नजदीक ले जाकर इस तरह से बात कर रहे थे मानो किसी वैज्ञानिक खोज का जिक्र इन दोनों महिला कर्मियों से कर रहे हो। अन्यथा बेशर्मी का यह प्रदर्शन दर्शनार्थीयों को यह उदाहरण दे रहा है कि हम भी बिना मास्क के मंदिर घुसे, क्योंकि जब पुजारी द्वारा किए गए अपराध का दंड शासन नहीं दे सकता तो फिर क्या नियम कायदे और कानून आम जनता के लिए ही बने हैं। कलेक्टर और प्रशासक को मामला संज्ञान में लेकर सरकार के आदेश को चुनौती देने वाले पुजारी को सबक सिखाना चाहिए अन्यथा यह माना जाएगा की दमदार वजनदार धन संपन्न की गलती को सख्त से भी सख्त कानून माफ करता है। हालांकि बाबा महाकाल का दरबार है यहां से बेआबरू होते हुए कहीं पंडे पुजारियों से लेकर अधिकारी तक देखे गए हैं पर जो सत्य और न्याय के साथ है उसका डंका फिर बजता है जैसे इंदौर के दोनों आला अधिकारी मनीष सिंह और कमिश्नर पॉल महोदया।
महेश पुजारी ने उमा भारती, बमबम नाथ, श्याम बाबा सहित कई संतों को भी बेइज्जत किया है
महाकाल मंदिर के वृद्ध महेश पुजारी अहंकार बस हमेशा ही मंदिर गर्भ गृह से लेकर नंदीहाल तक हमेशा से साधु संतों का अपमान करते दिखते हैं कई बार आला अधिकारियों से भी बदतमीजी से बात करते हैं। कांग्रेस के शासनकाल में पूर्व मुख्यमंत्री साध्वी उमा भारती जब दर्शन करने आई तब उन्होंने भगवा चोला धारण कर रखा था उसको देखकर महेश पुजारी ने सार्वजनिक रूप से साध्वी से कहा कि आप साड़ी पहनकर गर्भ गृह में जाइए भगवा चोला जो संत धारण करते है।ं वह गर्भगृह में प्रतिबंधित है बाद में उमा भारती ने कहा कि यदि आप मुझे साड़ी देंगे तो मैं वही पहन कर जाऊंगी अगली बार जब उमा भारती आई तब उन्हें इस विद्वान पंडित ने साड़ी भेंट कि तब उमा भारती ने कहा था कि उज्जैन के पुजारी हथियार चलाने में माहिर होते हैं और वो उनसे डरती हैं। व्यंग कहकर वह भी यहां से चली गई। उसके बाद चिंतामन रोड स्थित सन्यासी श्याम बाबा जो नित्य भस्म आरती में आते हैं उनको भी अपशब्दों का इस्तेमाल करके भस्मारती के दौरान गर्भ गृह से बाहर कर दिया था। ऐसे ही शमशान से रोज बाबा की भस्म आरती में पधारने वाले अवधूत बमबम नाथ जब भस्मारती में आ रहे थे तब भस्म आरती के लिए बैठे दर्शनार्थियों के सामने उनकी इज्जत खराब करने के उद्देश्य से उन्होंने कहा कि क्यों बमबम नाथ क्या तुम शमशान की भस्म बाबा महाकाल की भस्म आरती के लिए लाते हो। यह भक्त लोग ऐसा कहते हैं इस पर बम बम नाथ ने कहा नहीं इस तरह अपनी उच्चता करने की इन गुरु महाराज में विशेष बीमारी है। आखिर बाबा महाकाल और प्रशासन क्यों इन्हें झेल रहे हैं समझ से परे है ज्ञात हो कि कई बार इनकी इसी जिद के कारण इनकी होटल के पास ही इनकी लू उतार दी गई है। कई बार पुलिसकर्मी व भक्त भी इनसे दो चार कर लेते हैं पर दिल है कि मानता नहीं का अनुकरण पुजारी जी करते हैं।
गरीबों का सहारा बने महाकाल अन्य क्षेत्र को बंद करने की मांग भी कर चुके हैं महेश पुजारी
बाबा महाकाल का अन्य क्षेत्र विगत 78 दिनों से आज तक कई गरीबों के पेट भर रहा है नगर निगम एवं सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से खाने के पैकेट पूरे शहर में वितरित किए जा रहे हैं उन्हें भी महेश पुजारी कह चुके हैं कि अन्य क्षेत्र को बंद करना चाहिए। पुलिस में आने वाले तेल मिर्च मसाला सूखे अनाज को किस हिसाब से सैनिटाइज करके लाया जा रहा है मंदिर प्रशासन बताएं उस समय भी सारे शहर में इनकी किरकिरी हुई थी कि जाने क्यों यह 9 नंबर पैर में हमेशा सात नंबर जूता फसाना चाहते हैं।
इनके भाई को भी चरित्र के मामले में मनचले का खिताब मिल चुका है
फेहरिस्ट तो बहुत लंबी है शायद वेद प्रकाश शर्मा का उपन्यास भी छोटा पड़ जाए पर अभी कुछ माह पूर्व ही इन विद्वान पुजारी के भाई को उज्जैन के एक दैनिक अखबार ने मय सबूत छपा था कि इनका भाई मनचला किस्म का पुजारी है जो महिलाओं के घर तक प्रसाद के बहाने पहुंच जाता है और अपनी कारगुजारीयों को अंजाम देता है। कुछ महिलाओं ने उस अखबार के संपादक को इस संबंध में शिकायत की थी उसी कारण इनके हार के विपरीत नाम वाले जय-विजय भैया की भी किरकिरी हुई थी। सफेद चादर में इतने धब्बे के बाद भी मंदिर में इस तरह की कारगुजारी प्रतिबंधित की जाना चाहिए इनका यह विद्वान भाई एक मजिस्ट्रेट से भी अपशब्द कह चुका था बाद में इन पुजारी महोदय के बड़े भैया ने हाथ पैर जोडक़र मजिस्ट्रेट महोदय से वह मामला शांत कराया था आखिर कब तक पुजारी की आड़ में बचते रहेंगे बाबा महाकाल जाने।
क्या फिर कानून के हाथ से बच निकलेंगे महेश पुजारी
देखा जाए तो महेश पुजारी द्वारा किया गया कृत्य केंद्र द्वारा और राज्य सरकार द्वारा जारी एपिडेमिक संक्रमण गाइडलाइन का सार्वजनिक स्थल पर शासन के अधीन मंदिर में किया गया अपराधिक कृत्य है, इसके अंतर्गत इन पर नियम उल्लंघन की कार्यवाही की जानी चाहिए ताकि आने वाले समय में अन्य पुजारी इससे सबक लें नेता यही माना जाएगा कि महेश पुजारी के हाथ कानून से लंबे हैं।
महाकाल मंदिर की योद्धा पहले फोटो में मंदिर कर्मचारी महिलाओं मामी और प्रेमलता यादव से बात करते हुए।
दूसरे चित्र में नंदी के बिल्कुल सामने अधिकारियों और गर्भ ग्रह कर्मचारी से बात करते हुए जबकि उन दोनों ने मुंह पर मास्क लगा रहा है
तीसरे चित्र में कमल गुरु जो उस समय पटिए के पुजारी थे उनका भी मास्क के नीचे है और योद्धा ने तो मास्क लगा ही नहीं रखा है।