दूर से ही सही, राजाधिराज के दर्शन कर धन्य हुई प्रजा, नियमों की दुहाई देने वाले अधिकारी और जवाबदार लोगो ने ही उडाई नियम की धज्जियां

अग्नि साक्षी उज्जैन।  78 दिन से प्रतीक्षित बाबा महाकाल के दर्शन हेतु लोगों का उत्साह और उमंग कोरोना वायरस के चलते बहुत ठंडा दिखा जिस तरह की भीड़ की उम्मीद प्रशासन कर रहा था उसकी चौथाई भीड़ भी मंदिर में नहीं आ पाई। जितनी भी भीड़ आई उसमें अधिकांश युवा और इंदौर के छोर-छपारा ही शामिल थे। वृद्ध लोगों की संख्या बहुत कम दिखी पहले दिन की दर्शन व्यवस्था शांतिपूर्वक संपन्न हुई। कुछ जगह वीआइपीओ ने सोशल डिस्टेंस को तोड़ा उल्लंघन लंबे राजनीतिक कद वाले लोगों का था इसलिए फिर वही समरथ को नहिं दोष गुसाईं सब संक्रमण शमा है।

कृषि मंत्री कमल पटेल और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे थे ही नहीं

वजनदार वीआईपी प्रोटोकॉल में सबसे पहले 8:00 से 10:00 के समय में कृषि मंत्री कमल पटेल और उज्जैन दक्षिण विधायक मोहन यादव ने अपने समर्थकों के साथ हल्ला बोला स्पष्ट देखा गया कि इस भीड़ में सोशल डिस्टेंस का पालन बिल्कुल नहीं किया गया है। अफसर और मंदिर के आला अधिकारियों में दम नहीं था कि वह इन्हें रोक सके यदि इसी तरह के दर्शन व्यवस्था लागू रही तो फिर दंड फकीर को भुगतना पड़ेगा, क्योंकि एसी में बैठकर राजनीति करने वाले कभी सडक़ों पर नहीं दिखे और जब सडक़ों पर दिखे तब भीड़ का आलम बता रहा था कि यह वापस कमरे में जाने को तैयार है और भीड़ वापस फिर लॉक डाउन भोगेगी।


(मंदिर प्रशासन समिति के नियम अनुसार दर्शन करने वाले भक्तों को अपने जूते-चप्पल अपने वाहन या मंदिर के बाहर उतार कर आना होंगे वहीं महापौर, महंत और अधिकारी मंदिर में क्या संक्रमण रहित चरणपदुकाएं पहने हैं...?)

रेड जोन वाले उज्जैन के मंदिर में तीन प्रवेश द्वार, सामान्य, वीआईपी प्रोटोकॉल और वीवीआईपी क्या यह संक्रमण विरुद्ध लड़ाई है

कोरोना वायरस संक्रमण के अनुसार देखा जाए तो उज्जैन अभी भी रेड जोन में है जिस क्षेत्र में महाकालेश्वर मंदिर स्थित है उस क्षेत्र के आस-पास कहीं कोविड-19 संक्रमित लोग निवास करते हैं जो कंटेनमेंट क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं ऐसी स्थिति में मंदिर के तीन-तीन द्वारों से प्रवेश बाबा महाकाल जाने आखिर प्रशासन क्या साबित करना चाहता है। पहला वीआईपी प्रोटोकॉल के लिए डी गेट पुलिस चौकी, दूसरा धर्मशाला के पास स्थित वीवीआइपी गेट आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गेट पर थर्मो इलेक्ट्रिकल मशीन तक नहीं है और आखिरी शंख द्वार के पास स्थित सामान्य जनता प्रवेश द्वार। तीन प्रवेश द्वार और एक निर्गम आखिर प्रशासन क्या साबित करना चाहता है यह वही आला अधिकारी जाने, क्योंकि इतनी तीव्र बुद्धि उज्जैन वालों की होती तो वह भी आईएसआईएस होते सामान्य जन की तरह लाइन में लगने वाले भक्त उज्जैन की जागरूक जनता यही कहते पाई गई तीन-तीन प्रवेश द्वारा संक्रमण से लड़ाई या संक्रमण बुलाने की लड़ाई यह समझ से परे।


(शंख द्वार के पास आम भक्तजन कडक़ड़ाती धूप में नंगे पैर बाबा के दर्शन की प्रतीक्षा मे, आशा है ये क्षण वीआइपीओ को भी मिले तो .....!)