अग्नि साक्षी उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के खोलने को लेकर संशय बरकरार है कुछ दिन पूर्व मंदिर प्रशासक ने 8 जून को मंदिर के पंडों के लिए गर्भ ग्रह प्रवेश निर्धारित किया था उसी कड़ी में 8 जून को शिवराज सिंह चौहान का उज्जैन आगमन निश्चित है इसी कारण में आनन-फानन में आपदा प्रबंधन की बैठक बुलाई गई और 8 जून को महाकाल मंदिर खोलने का निर्णय पर आपदा प्रबंधन समिति ने हां कह दिया।
विगत दो-तीन दिनों से यह स्थिति चल रही है पर निर्णय फिर असमंजस में उलझा दिख रहा है वास्तव में देखा जाए तो आपदा प्रबंधन कमेटी आपदा आने के बाद उसको दूर करने का प्रबंध करती है, ऐसी स्थिति में आपदा प्रबंधन कमेटी की हां कोई औचित्य नहीं रखती क्योंकि आपदा अभी आई ही नहीं है तो फिर उनकी हां का मतलब क्या हुआ?
अब महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के हाथ में प्रवेश की चाबी
आज श्री महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की बैठक आहूत की जा रही है यह समिति ही तय करेगी कि महाकाल मंदिर में प्रवेश कहां तक खोला जाए, खोला भी जाए या नहीं? क्योंकि सभी जिम्मेदारियां इस समिति के पास ही होंगी। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति को ही तय करना है कि दर्शन व्यवस्था खोली जाए तो कहां तक? किन शर्तों के आधार पर? किन लोगों को प्रवेश देना है? कितने बजे तक देना है? यह सब निर्णय महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में होगा। ज्ञात हो कि प्रबंध समिति तय करेगी कि दर्शन व्यवस्था किस अनुसार हो।
कौन बैठेगा प्रबंध समिति की बैठक में? पुरानी समिति भंग नहीं हुई है, अखाड़े का प्रतिनिधित्व क्या फिर रामदास करेंगे
मंदिर प्रशासक सुजार सिंह रावत आज मंदिर प्रबंध समिति की बैठक बुलाई है मंदिर प्रबंध समिति में कलेक्टर विकास प्राधिकरण अध्यक्ष मनोनित, तीन सदस्य महापौर और महानिर्वाणी अखाड़ा महंत गादी पंडे और पुजारी समिति के अध्यक्ष शामिल होते हैं। इनके अलावा भी समय अनुसार पंडित पुजारियों की संख्या अपनी-अपनी वजनदारी के अनुसार घटती-बढ़ती रहती है। ऐसी स्थिति में वर्तमान प्रबंध समिति दीपक मित्तल, विजय पुजारी और आशीष पुजारी कांग्रेस के शासन में मनोनीत सदस्य हैं तो क्या प्रशासन मनोनीत सदस्यों को भी आमंत्रित करेगा क्योंकि समिति भंग होने पर ही यह अपात्र हैं, अन्यथा यह भी समिति में बैठ सकते हैं। ऐसी स्थिति में शासन करने वाले दल को विचार करना चाहिए कि समिति अभी तक भंग क्यों नहीं की गई है भले ही मंदिर प्रशासक महोदय कहते हैं सरकार बदलने के बाद समिति को भंग माना जाना चाहिए पर लिखित में कुछ भी नहीं है। इसके अलावा मंदिर स्थित महानिर्वाणी अखाड़े के महंत गांधी भी इस समिति के स्थाई सदस्य हैं। अभी तक प्रकाश पुरी महाराज की अस्वस्थता के कारण रामदास महाराज जिनका इस अखाड़े से कोई मतलब नहीं है वह बैठक में उपस्थित होते थे अब विनीत पुरी महंत गादी पर बैठे हैं इसी स्थिति में अब रामदास महाराज का बैठक में आना प्रतिबंधित होना चाहिए यदि कांग्रेसी शासन द्वारा नियुक्त तीनों आमंत्रित सदस्यों को इस समिति में न माना जाए ऐसी अवस्था में महापौर अखाड़ा महंत गादी कलेक्टर महोदय मंदिर प्रशासक और पंडित पुजारी निर्णय करेंगे कि व्यवस्था क्या हो।
पंडित पुजारी 2 दिन पूर्व कह चुके हैं राज्य शासन की गाइडलाइन के बाद ही कुछ होगा अभी तक नहीं आई है राज्य शासन की गाइडलाइन
मंदिर खोलने को लेकर 4 दिन पूर्व पंडित-पुजारी और मंदिर प्रशासक की बैठक हुई थी उसमें भी मंदिर खोलने के संबंध में यह निर्णय लिया गया था कि 8 तारीख से पंडित पुजारियों को प्रवेश दिया जाएगा और 15 तारीख के बाद राज्य शासन के गाइडलाइन के अनुसार मंदिर की आवक-जावक शुरू की जाएगी। चुंकी 8 या 9 तारीख को प्रदेश के मुख्यमंत्री का आना तय हो गया है इसलिए आनन-फानन पंडे पुजारियों से भी उनके पूर्व की कथन को प्रबंध समिति की बैठक में फिर पलटा जाएगा। इसे क्या कहा जाए मुख्यमंत्री के आगमन के कारण कहीं जल्दबाजी में तो यह निर्णय नहीं लिया जा रहा है, क्योंकि इसी मंदिर में 4 दिन पूर्व निर्णय हुआ है कि राज्य शासन की गाइडलाइन आने के बाद ही मंदिर में दर्शनार्थियों का प्रवेश निर्धारित किया जाएगा जो कि अभी तक नहीं आई है।
सीएम के आगमन के कारण 8 तारीख का निर्धारण
बाबा महाकाल के परम भक्त और मध्य प्रदेश शासन के नए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान संभवत 8-9 तारीख को उज्जैन आकर बाबा महाकाल का अभिषेक करेंगे पहले उन्हें शिखर दर्शन कर यहां से जाना था पर ताबड़तोड़ आपदा प्रबंधन की बैठक आहूत कर महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की बैठक को भी बुला लिया गया है ताकि शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में ही दर्शन व्यवस्था चालू हो जाए। सीएम की नजरों में वेल्डन के लिए यह जल्दबाजी में सारा कदम उठाया गया है। हालांकि मंदिर खोलना बहुत अच्छी बात है पर अपने ही निर्णय पंडे पुजारी और प्रशासक प्रबंध समिति की बैठक में कैसे बदलेंगे यह हास्यास्पद रहेगा। ज्ञात हो कि केंद्र ने 8 तारीख से होटल, मॉल, भोजनालय खोलने के आदेश दे दिए हैं पर वह राज्य शासन के हाथों में है ऐसी स्थिति में उज्जैन प्रशासन राज्य शासन के आदेश अनुसार ही कार्य करता दिख रहा है अब इसे राज्य शासन की गाइड लाइन मारने या मामा की वेलकम सेरेमनी।