ठेकेदार का धोखा- नानाखेड़ा स्थित तिरूपति ड्रीम्स में पड़ा झांसी का 13 सदस्यों का परिवार, लगा रहा घर जाने की गुहार, भूखे मरने पर मजबूर
अग्नि साक्षी उज्जैन । उज्जैन कोरोनावायरस संक्रमण में इस देश प्रदेश और शहर को ऐसा घेरा है कि धार्मिक नगरी पतित हो रही है अभी तक ठेकेदारों के लाडले यह भील परिवार अब अचानक जो दुश्मन बन गए हैं समझ से परे है, ज्ञात हो कि अधिकांश ठेकेदारों के यहां भी मजदूरों की संख्या अधिक होती है क्योंकि काम करने के मामले में इनका कोई सानी नहीं। परन्तु आज कोरोनावायरस के कारण मची अफरा-तफरी ने इन लोगों के भविष्य के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया है। भूख से मजबूर है परिवार जैसे तैसे गुजारा कर रहा है, कभी कोई लोग राशन दे जाते हैं, तो कभी एक एक दो दो दिन तक इन्हें भूखा रहना पड़ता है। अभी कुछ दिनों से खाना बांटने वाली संस्थाओं को नए कलेक्टर महोदय ने बंद कर दिया था उस दौरान 2 से 3 दिन तक यह लोग भूख से संघर्ष करते रहे जब अग्नि साक्षी की टीम ने इनसे जानकारी प्राप्त कि तो बताया कि, यह ठेकेदार के यहां ब्लॉक व पोल लगाने का काम करते थे लेकिन जब से लॉक डाउन हुआ है ठेकेदार ने हाथ ऊंचे कर दिए हैं ना तो इनके पास गरीबी रेखा का राशन कार्ड है और ना ही शहर में कोई पहचान, बस बाबा महाकाल की नगरी में ऊपर वाले के भरोसे ही 40 से अधिक दिन बिता चुके हैं। लेकिन अब इनका दिल और परिवार दु:खी मन से अपने गांव झांसी जाना चाहता है, ताकि इन्हें खाने-पीने की सुविधा तो कम से कम मिल ही जाए। 

एक तरफ शासन और उसके नुमाइंदे ढोल पीट-पीटकर बता रहे हैं कि सब व्यवस्था सामान्य हो रही है वहीं दूसरी ओर आखिर क्यों यह परिवार रो-रोकर यह गुहार कर रहा है कि हम भूखे हैं हमें अपने गांव पहुंचाने में मदद करिए। इन्होंने हमारे अखबार अग्नि साक्षी के माध्यम से प्रशासन को गुहार लगाई है कि इन्हें इनके घर झांसी पहुंचाने के लिए प्रशासन व्यवस्था करें। ताकि वह अपना जीवन-यापन तो कर सके, यदि लाक डाउन आगे बढ़ता है तो भूखे मरने की नौबत आ जाएगी, क्योंकि शहर में काम नहीं है और बिना काम के कोई रोज-रोज रोटी नहीं खिलाएगा। दो-दो, तीन-तीन दिन इंतजार करने से अच्छा है कि गांव वापस जाया जाए, यदि सब काम शुरू भी हो गया तो भी इन्हें जमने में भी एक से 15 दिन आसानी से लग जाएंगे। ऐसी अवस्था में यह परिवार तब तक किसके आश्रय में अपना जीवन गुजारेगा शासन को चाहिए कि ऐसे व्यक्तियों कि जो इनको ठेकेदार लाकर यहां भूखा मरने के लिए छोड़ दे रहे हैं उन्हें वापस उनके गांव पहुंचाया जाए भले ही प्रधानमंत्री अपील कर चुके हैं कि किरायेदारों को ना निकाले फैक्ट्री और अन्य छुट्टे काम करने वाले मजदूरों को तनख्वा दी जाए पर लक्ष्मी का मोह बहुत खतरनाक होता है मानवता उसमें बह कर पार चली जाती है, सिर्फ लाशें ही रह जाती है या तो प्रशासन ठेकेदार पर कार्यवाही करे या फिर इनके खाने पीने की व्यवस्था।

ड्रीम्स एवेन्यू मैं रोज भूख प्यास से तड़पता झांसी का यह 13 सदस्य परिवार घर जाने की गुहार, दाऊद खेड़ी ग्राम पंचायत के अंतर्गत आती हैं तिरुपति ड्रीम्स पर हाटकेश्वर विहार

शहर की पॉश कालोनियों में गिनी जाने वाली  तिरुपति ड्रीम्स और हाटकेश्वर विहार धनाढ्य लोगों की कॉलोनी है दुर्भाग्य देखिए इस कॉलोनी को बसाने में मेहनत करने वाले यह परिवार आज अपनी रोजी-रोटी के लिए लड़ रहे हैं हालात यह हैं कि यह लोग जीवित अवस्था में ही घर जाने की प्रबल इच्छा रख रहे है,ं आखिर क्यों ना हो भूखा मरने से तो अच्छा है घर पर ही पहुंच कर एक टाइम ही खाया जाए पर सकून का। जब अग्नि साक्षी की टीम ने  पता करा तो बताया गया कि यह कॉलोनी महेश पर्यानी नामक बिल्डर ने काटी है बाद में वहां पर हेमंत व्यास फिल्मी अभिनेता और बिल्डर ने प्लाटों को खरीद लिया और निर्माण कार्य कराया मजदूर डरे से हमें यह बताने से परहेज कर रहे हैं कि उन्हें यहां लाने वाले का नाम क्या है बस ठेकेदार ठेकेदार संबोधन ही उसका नाम है अब या तो इन ठेकेदारों की अंतरात्मा जागे जो इस परिवार को यहां लाए हैं या प्रशासन की जागे तो यह परिवार अपने गृह नगर झांसी पहुंच जाएगा, लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर कौन ठेकेदार हैं जो उज्जैन की देवनगरी को बदनाम कर रहे हैं अपने काम होने तक तो इन्होंने इन्हें बड़े लाड प्यार से परखा और आज यह रोटी के लिए मोहताज हो रहे हैं, तो पलट कर इनकी तरफ देख भी नहीं रहे हैं शायद इन्हीं चीजों का हिसाब करने के लिए कोरोनावायरस आया है और हम देवी मंदिरों की तरफ भाग रहे हैं कि हे भगवान इस वायरस का नाश करो क्या इसी नियत और नियति के पश्चात यह वायरस भगवान द्वारा नष्ट किया जाएगा खुद सोचने का विषय है।

कई अनियमितता हैं इन कालोनियों में अभी तक दाऊद खेड़ी पंचायत को हैंडोवर नहीं की गई हैं यह कालोनियां

इन कालोनियों को बनाने वाले ठेकेदार द्वारा लगातार कॉलोनी में अनियमितता की गई है ना तो शासन के आदेश अनुसार गरीबी रेखाओं के लिए यहां प्लाट निर्धारित किए गए हैं और ना हीं निर्धारित जगह पर यहां खेल का मैदान है, ना हीं बगीचे हैं ऐसी स्थिति में यह कॉलोनी दाऊद खेड़ी पंचायत को हैंडोवर नहीं की जा रही हैं, क्योंकि निर्धारित शर्तों का उल्लंघन करती कॉलोनी को दाऊद खेड़ी पंचायत  बिना नियमों की कार्यवाही के हां नहीं करेगी। शासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए एक और तो नियम और शर्तों का उल्लंघन दूसरी ओर लाए गए मजदूरों को भूखे मरने की नौबत क्या यह मानवता है।

व्यापारी संस्थाओं के पास बनना शुरू, खाना बांटने वाली संस्था अभी भी इंतजार में डरे-डरे से लगे हैं सेवा में

नव आगंतुक कलेक्टर आशीष कुमार सिंह ने चार्ज संभालने के दूसरे दिन ही खाना बांटने वाली समस्त संस्थाओं के और सभी तरीके के पास निरस्त कर दिए थे बाद में उन्होंने वैकल्पिक तौर पर भोजन बांटने की व्यवस्था नगर निगम को हैंड ओवर करने की बात कही थी कि, सभी संस्थाएं नगर निगम में भोजन इक_ा करेंगे वहां से नगर निगम कर्मचारी भोजन बाटेंगे पर संस्थाओं ने भी यह निर्धारित कर लिया था कि भोजन वही बाटेंगे नगर निगम किसी हालत में खाना नहीं पहुंचाया जाएगा। कुछ संस्थाओं ने खाना जरूर पहुंचाया पर अधिकांश लोगों ने हाथ ऊंचे कर दिए थे दबी जबान में अधिकारियों ने संस्थाओं को हरी झंडी दी लेकिन संस्था के लोग कुछ करते कि, नए एसपी का आगमन हो गया उनके आते ही शहर की पुलिस बदली-बदली सी नजर आ रही है 166 दिन में लॉक डाउन उल्लंघन के दर्ज हो गए हैं खाना बाटने वाली संस्थाओं को यह भय है कि जब पहले पास होते हुए भी हरसिद्धि चौराहे पर खाना बांटने वाले कुछ लोगों को पुलिस ने खूब डंडे बरसाए थे बाद में कुछ भाजपा नेताओं के साथ भी यही हरकत हुई क्योंकि राजनीतिक संगठन से संबंधित थे मामला शांत हो गया अब नए पुलिस कप्तान के आने के बाद यह संस्थाएं फिर डर रही है कि कहीं नए कप्तान को खुश करने के चक्कर में लट्ठ बजना शुरू हो ना हो जाएं जहां एक और व्यापारी वर्ग और उनके कर्मचारियों को कलेक्टर महोदय के आदेश अनुसार खाद्य विभाग ने पास जारी कर दिए हैं पर खाना बांटने वाली संस्थाएं दब छुप कर डरे डरे से भोजन सेवा में लगे हुए हैं प्रशासन को चाहिए कि इन संस्था के लोगों का भी पास जारी किया जाए ताकि भूख से बिलखते बच्चे और बूढ़ों को भोजन प्रसादी प्राप्त हो।

कंटेनमेंट क्षेत्रों में कच्चा राशन कब ?

जैसे-जैसे कोरोनावायरस के पेशेंट बढ़ते जा रहे हैं वैसे भी इसे कंटेनमेंट क्षेत्र भी बढ़ता जा रहा है कुछ कंटेनमेंट क्षेत्र सक्षम है पर अधिकांश दूसरों पर निर्भर रहने वाले परिवार ज्यादा हैं ऐसी स्थिति में जब एक और भोजन के पैकेटोंं का वितरण नियंत्रित कर दिया गया है। शासन ने खुद ने यह ऐलान किया था कि कंटेनमेंट क्षेत्रों में कच्चे राशन सामग्री को जरूरतमंद परिवारों के पास पहुंचाया जाएगा, इस घोषणा को हुए भी 2 दिन हो गए हैं लेकिन यह सामग्री भी वितरित नहीं हो पाई है घोषणाएं हो।