श्री महाकालेश्वर मंदिर में हुआ दर्शनर्थियो का प्रवेश प्रारंभ, पर शर्त अधिकारी से परिचय होना ज़रूरी
लॉक डाउन के बाद पांचवी बार प्रवेश, तोप-तमंचे यह वीआईपी कौन थे


नंदी ग़ृह में दर्शन करते श्रद्धालु, मंदिर परिसर में मोबाईल निषेध होने के बाद में नंदी गृह में सेल्फी लेता लाल घेरे में बैठा व्यक्ति 

अग्नि साक्षी उज्जैन । विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग आम दर्शनार्थियों के दर्शन हेतु प्रवेश विगत 60 दिनों से अधिक समय से बंद है, लेकिन देखने में आ रहा है कि लॉक डाउन अवधि के दौरान पांचवी बार कलेक्टर-एसपी के आदेश का उल्लंघन हुआ है। अब देखना यह है कि इसमें अधिकारियों की रजा थी या कर्मचारियों की कजा, क्योंकि नंदीहाल तक प्रवेश इतनी आसानी से नहीं हो सकता जितना समझा जा रहा है। चारों तरफ से महाकाल मंदिर के रास्ते बंद हैं सिर्फ चौकी वाला रास्ता चालू है, इसी स्थिति में 5-6 व्यक्तियों का समूह पुलिस चौकी के पास से होता हुआ रैंप से सीधे बहार कैसे पहुंच गया। उसके बाद भी फोटो सेशन का दौर चला जिसमें वह सेल्फी लेते हुए दिख रहे हैं। पहले तो प्रवेश निषेध है उसके बाद मंदिर में फोटो लेना भी निषेध है। आखिर कौन वीआईपी हैं तोप है या तमंचे हैं जो नंदीहाल तक पहुंच गए। इतना तो 100 प्रतिशत कटु सत्य है कि आम आदमी होता चाहे उसके माता-पिता मर रहे होते या बाबा से वह दु:ख में दिल की गुहार लगाने जाते तो, उन्हें जानवरों जैसा चौकी से हडक़ा दिया जाता। इन्हें हटाया नहीं गया मतलब यह प्रजाति ऊंची थी, पर कौन थी यह बताने के लिए ना तो अधिकारी ने फोन उठाया और न किसी पुलिस चौकीकर्मी ने इस संदर्भ में बताया। पूछने पर बताया जाता है चौकी पर की हमारी ड्यूटी के दौरान यह कार्य नहीं हुआ ‘‘सीपी जोशी’’ मंदिर प्रशासक से जब यह पूछने के लिए फोन लगाया गया तो उनका मोबाईल निरंतर व्यस्त आ रहा था। मंदिर में प्रवेश की यह घटना शाम 6: 30 की है जब आरती शुरू नहीं हुई थी। इस संबंध में अग्नि साक्षी के खुफिया सूत्रों ने अंदर उपस्थित कर्मचारियों से जानकारी प्राप्त कि तो उन्होंने बताया कि सभी के मुंह पर मास्क लगे हुए थे और कुछ लोगों ने गले में गमछा डाले हुए थे। मंदिर ग्रह से दर्शन करने और उपरांत वह लोग बाहर चले गए। कौन थे? क्या थे? यह कोई ने नहीं पूछा आखिर ऐसा कैसे संभव है कि नंदीहाल तक कोई आदमी समूह बनाकर चले जाएं और मंदिर कर्मचारी उनसे यह भी नहीं पूछ पाए कि यह लोग कौन थे। स्थिति देखकर तो ऐसा लगता है कि महाकाल मंदिर में प्रवेश चालू हो गया है पर सिर्फ वी.वी.आई.पी. के लिए। नहीं तो लॉक डाउन में पांचवी बार आदेश का उल्लंघन नहीं होता। दो बार प्रशासन से जुड़े लोग एक बार कांग्रेस नेता एक बार भाजपा नेता और पांचवी बार यह 5-6 लोगों का समूह अब तक का सबसे तगड़ा पहुंच  वाला समूह दिख रहा है। मंदिर प्रशासक महोदय को मामला संज्ञान में लेना चाहिए और चाहे कोई भी वीआईपी हो जब प्रवेश प्रतिबंधित है तो उसे मंदिर एक्ट की धाराओं का उल्लंघन मानना चाहिए और उस पर कार्यवाही करना चाहिए।  या फिर यह समझा जायेगा कि प्रशासन का डंडा गरीब पर ही उठता है रसूखदार कानून और नियमों को जेब में रखकर चलते हैं।


जल द्वार से प्रवेश करते ये अज्ञात दर्शनार्थी, श्री महाकालेश्वर मंदिर  एक्ट में यह द्वार सिर्फ पण्डे पुजारियों के लिए है। 

कलेक्टर-एसपी ने शिखर दर्शन कर चार्ज लिया था - बाबा महाकाल के भक्त एसपी मनोज सिंह और कलेक्टर आशीष कुमार सिंह दोनों ने कोरोना वायरस अति संक्रमण काल में उज्जैन में अपना पदभार ग्रहण किया था, यहां एक बात काबिले तारीफ थी कि दोनों ने पदभार ग्रहण करने के पूर्व तामझाम से रहित होकर बाबा महाकाल के शिखर दर्शन कर पदभार ग्रहण कर लिया, चाहते तो वह भी अन्य वीआईपी बगुला भक्तों का अनुकरण कर गर्भ ग्रह में पूजन कर पदभार ग्रहण करते। प्रभु जानते थे कि बाबा महाकाल ने उन्हें इस मर्तबा दर्शन के लिए नहीं अपनी प्रजा की रक्षा के लिए बुलाया है, जब से ही यह दोनों लगातार प्रजा के प्राण की रक्षा के लिए जूझ रहे हैं, लेकिन इतनी बड़ी घटना क्या इन दोनों अधिकारियों को भी नही?ं मालूम क्या अधिकारियों की रजा से ही यह लोग नंदी ग्रह तक पहुंचे यदि ऐसा है तो यही समझा जाएगा कि कानून समर्थवान को देखकर लचीला हो जाता है।

न्यायाधीश, नेता, अभिनेता, आमजन कोई नहीं सिर्फ पुजारी जाएंगे तो, फिर बार-बार बाबा महाकाल के मंदिर में धोखाधड़ी क्यों ?

जब मंदिर प्रशासक और कलेक्टर महोदय पूर्व में यह आदेश कर चुके हैं की मंदिर के अंदर किसी भी तरह के नेता अभिनेता न्यायाधीश आमजन किसी का प्रवेश नहीं होगा सिर्फ पटले पर बैठने वाले पुजारी अपने समय के अनुसार आरती करने जाएंगे उसके बाद मंदिर में कोई नहीं रहेगा फिर ऐसी अवस्था में बाबा के मंदिर में बाबा के समक्ष धोखाधड़ी कैसे हो रही है यह समझ से परे है पहले ही शहर कोरोनावायरस के संक्रमण से लगातार परेशान हो रहा है कई लोग पूजा पाठ और अनुष्ठानों में लगे हुए हैं कई अखंड रामायण चल रही है कई अखंड हवन चल रहे हैं सीधी करके इस संक्रमण को रोका जाए वही इस सृष्टि के दाता जो खुद आइसोलेशन में चले गए हैं उनके दरबार में भी इस तरह से झूठ और घुसपैठ आम और खास में फर्क पैदा करती है इन्हीं फितरत भाइयों के कारण आज सभी धार्मिक स्थलों पर ताले लगे हुए हैं और लोग घर में बंधक है प्रकृति के साथ यह देवी प्रकोप भी है झूठ का अंबार लगा हुआ था जो अब तक हटने को तैयार नहीं है और हम बात करते हैं कि हे बाबा महाकाल लॉक डाउन खोल दे उज्जैन को संक्रमण मुक्त कर कैसे संभव होगा जब तक बाबा के दरबार में सभी एक तराजू में नहीं तो ले जाएंगे तब तब इस तरह की आपदा सब को भोगना पड़ेगी ऐसा धर्म विशेषज्ञ कहते हैं।