शासन शहर को संभाले या पुजारी को...? मंदिर में उपलब्ध पुजारी पूजा कर सकते हैं तो, फिर कंटेनमेंट क्षेत्र के पुजारियों की मांग अनुचित है
अग्नि साक्षी उज्जैन। कल उज्जैन शहर में कुल 17 कोरोना पॉजीटिव आए जिसमें से 5 बडनगर और 12 उज्जैन के है जिसमें से 5 कंटेनमेंट क्षेत्र आंग्रे का बाड़ा सोनी परिवार के सदस्य है अब तक इस परिवार के कुल मिलाकर छ: सदस्य संक्रमित हो गए है। इसी गली में आशीष पुजारी और महेश पुजारी कर रहे हैं बचपना, मंदिर जाने की जिद के लिए गाड़ी लाई जाए, जबकि कंटेनमेंट क्षेत्र में किसी भी तरह का आवागमन प्रतिबंधित है।

 फिर चर्चा में आंग्रे का बाड़ा- 5 और कोरोना पॉजीटिव से मचा हडक़ंप, पुजारी परिवार अति संक्रमक कंटेंटमेंट क्षेत्र में

विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में विराजित बाबा महाकाल इस बार शायद बाबा क्या रजा रखते हैं समझ से बाहर दिख रहा है, कल हमने हमने हमारे समाचार-पत्र में समाचार प्रकाशित किया था कि विश्व का भार संभालने वाले राजा की सेवा अब एक पुजारी के भरोसे जब तक इस शासकीय पुजारी परिवार के रहवासी क्षेत्र मैं एक वृद्ध कोरोना पॉजिटिव था, कल दोपहर को आई रिपोर्ट में सोनी परिवार के पांच और अन्य सदस्य भी पॉजिटिव पाए गए ,जैसे ही यह खबर क्षेत्र में फैली हडक़ंप मच गया। यह वही स्थान है जहां महाकाल मंदिर के शासकीय पुजारी घनश्याम गुरु का निवास स्थान है, ऐसी अवस्था में अब उनका पूरा परिवार कंटेंटमेंट क्षेत्र में अति संक्रमण वाले क्षेत्र में आ गया है। ऐसी अवस्था में उनके पुत्र विकास नन्नू गुरु जो महाकाल मंदिर के अंदर ही निवास कर रहे हैं वही पूजा की सारी गतिविधियां संभाल लेंगे, जब तक कि क्षेत्र कंटेंटमेंट फ्री नहीं हो जाता। जैसा कि कोविड-19 नियमों को लेकर आदेश है कि कंटेंटमेंट क्षेत्र से कोई भी  कहीं बाहर आ-जा नहीं सकता है, वीडियो कैमरे से उसकी पूरी जानकारी रखी जाती है। 

जानसापूरा, ब्राह्मण गली और अब आंग्रे का बाड़ा हॉटस्पॉट दिख रहे हैं

कोरोना सक्रमण जहां शहर में दोहरे शतक की ओर बढ़ रहा है वही मृत्यु की दर भी पूरे इंडिया में उज्जैन की ही सबसे अधिक है इसी अवस्था में जानसापूरा, ब्राह्मण गली और आंग्रे का बाड़ा मे लगातार संख्या चौकाने वाले रूप से बढ़ रही है। व्यवस्था में इन्हें हॉटस्पॉट के रूप में मानने से इनकार नहीं किया जा सकता। यहां के क्षेत्रवासियों को चाहिए कि घर में ही रहे और प्रशासन के नियमों का पूर्ण रुप से पालन करें ताकि प्रशासन इस संक्रमण को वहीं रोक सके अन्यथा शहर में कठिनाई हो सकती है।

बाबा महाकाल ही जाने कि आखिर वह चाहते क्या हैं

कोरोना वायरस का कहर मंदिर-मस्जिद, हिंदू-मुस्लिम सबको अपने आगोश में ले कर बैठा है मंदिरों में ताले लगे हैं कई क्षेत्र ऐसे हो गए हैं कि जहां पुजारी भी बाहर निकलने की स्थिति में नहीं है, कई मस्जिदों में ताले लगे हैं और मौलाना भी घर पर ही नमाज पढ़ रहे हैं।  ज्ञात हो उज्जैन के कुछ समाचार पत्रों के संपादकों के घर भी कंटेनमेंट क्षेत्र में आए थे उन्होंने उस अवधि का पालन किया ऐसी अवस्था में कुछ समाचार-पत्रों में आया था कि आशीष पुजारी 4 दिन किसी होटल में रुकेंगे और उसके बाद महाकाल मंदिर में जाएंगे, क्या यह संभव हो सकता है? ऐसा क्षेत्र जो अति संक्रमित हो जहां पांच-छ: मरीज मिले हो वहां पर कैसे कोई आदमी मंदिर जा सकता है? क्योंकि यदि किसी को छूट दी गई तो फिर सारे शहर में बवंडर मचेगा और वह भी इस तरह की छूट मांगेंगे। ज्ञात हो कि नई पेठ के एक और भस्मा आरती पुजारी परिवार महेश पुजारी ने भी मांग करी थी कि उन्हें मंदिर से आने-जाने के लिए शासन वाहन उपलब्ध कराए, पर यहां यह बात समझ से परे है, कि क्या शासन शहर संभाले या पुजारी को? शहर के हालात दिख रहे हैं कि यमराज घूम रहा है, उसके बाद भी पुजारी बाल हट किस कारण कर रहे है यह समझ से परे है। ज्ञात हो कि भरत गुरु, अमर गुरु व अन्य पुजारी भस्म आरती का कार्यभार संभाल रहे हैं और घनश्याम गुरु के पुत्र ने शासकीय आरती का कार्यभार संभाल रखा है, फिर आखिर क्या श्रेष्ठता सिद्ध करना चाहते हैं यह समझ से परे है। अब देखना यह है कि शासन इन्हें अनुमति देकर नियमों को तोड़ता है या मंदिर में उपलब्ध पुजारियों से ही पूजा कर वाता है?