उज्जैन (सुरेश बमने)। उज्जैन विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के पट आम दर्शनार्थियों के लिए विगत डेढ़ माह से पूर्णता बंद हैं यदा-कदा वीआईपी या लंबे ओहदे वाले लोग भले ही गर्भ ग्रह में घुसकर उल्लंघन करते दिखे हो पर आम आदमी घर पर बैठकर ही बाबा का आशीर्वाद प्राप्त कर रहा है, ज्ञात हो कि मंदिर में पूजा करने वाले पांडे और पुजारियों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है सिर्फ शासकीय पुजारी घनश्याम गुरु परिवार को आरती की अनुमति है। कुदरत या बाबा महाकाल का करिश्मा ही कहा जाएगा कि जिस क्षेत्र आंग्रे के बाड़ी में श्याम पुजारी जी के परिवार का घर है वह क्षेत्र 8 दिन से कंटेनमेंट क्षेत्र में आता है और संक्रमण भी इतना फैला की छोटी सी गली में एक ही परिवार के 6 लोग करोना संक्रमित पाए गए हैं, ऐसी अवस्था में पुजारी परिवार लगातार कंटेनमेंट क्षेत्र से अदला-बदली कर मंदिर में उपस्थित हो रहे हैं। इस कार्य में क्या प्रशासन की रजा-समर्थन है या कंटेनमेंट क्षेत्र से इस तरह से आना-जाना किसी भी समय या तो पुजारी परिवार के लिए खतरा हो सकता है या मंदिर परिसर में अन्य लोगों के लिए? आखिरी आवागमन कैसे हो रहा है यह समझ से परे है?
कमरे आवंटित कर चुके हैं मंदिर प्रशासक
लॉक डाउन 2 के बाद जैसे ही संक्रमित मरीजों की संख्या बढऩा शुरू हुई उसी समय मंदिर प्रशासक सुजान सिंह रावत और आशीष पुजारी पूर्व सदस्य मंदिर प्रबंध समिति की सहमति से यह निर्धारित हुआ कि पुजारी और सहायक पुजारी को मंदिर में ही कमरे आवंटित कर दिए जाएंगे ताकि इस तरह के संक्रमण से मंदिर का भी बचाव हो और पुजारी परिवार का भी बचाव हो। इस हेतु महाकाल मंदिर धर्मशाला में कमरा नंबर 19 आवंटित किया गया था लेकिन न तो पुजारी और न ही सहायक पुजारी कोई भी उस कमरे में गया। मंदिर परिसर में स्थित पुजारी कक्ष में ही वह लोग रह रहे हैं, अखाड़े से वह व अन्न क्षेत्र से भोजन-पानी की व्यवस्था प्रशासन ने की है, उसके बाद भी लगातार कंटेनमेंट क्षेत्र से आना-जाना भगवान से प्यार है या परिवार से यह समझ से परे हो रहा है? मंदिर प्रशासक को चाहिए कि उन्हें मंदिर धर्मशाला में परिवार सहित ही रहने की अनुमति दे, ताकि परिवार भी संकट से बचें और संभवत होने वाले संक्रमण से मंदिर को भी बचाया जा सके, क्योंकि स्वयं मंदिर समिति सदस्य आशीष पुजारी जी ने कहा था कि पूजा-पाठ संभालने वालों के लिए मंदिर समिति मंदिर में ही कमरे आवंटित करेगी ऐसी स्थिति में स्वयं की मांग का स्वयं ही उल्लंघन समझ से परे है?
महाकाल मंदिर में लगने वाले अन्न क्षेत्र में आजकल ढाई से तीन हजार वीआईपी भोजन पैकेट तैयार हो रहे हैं उनमें से कुछ पैकेट को छोडक़र कि सब वीआईपी संस्था ले जाती है, हालांकि मंदिर समिति का मामला है वह जाने और संस्था पर सूत्र बताते हैं कि पुजारी इस क्षेत्र से भी डर रहे हैं, क्योंकि भोजन बनाने के लिए 10 से 15 कर्मचारी लगे हुए हैं शायद उनके संक्रमित होने का भी खतरा है इसलिए पुजारी परिवार भोजन भी वहॉं नहीं कर रहा है। जहां मंदिर प्रशासक ने उनके भोजन की व्यवस्था निर्धारित की थी। भोजन महानिर्वाणी अखाड़े के महन्त द्वारा भेजा जा रहा है, अब ऐसी स्थिति में जब पुजारी परिवार डर रहा है तो कंटेनमेंट क्षेत्र से लगातार पुजारी की अदला-बदली क्या मंदिर के अन्य कर्मचारियों को संक्रमित नहीं करेगी या कर्मचारियों की जान की कीमत पुजारी परिवार की जान की कीमत से कम है? यह फैसला प्रशासन को लेना है क्योंकि मंदिर बंद होने की अवस्था में भी पुलिस चौकी से लेकर गर्भ ग्रह तक कम से कम 15 से 20 कर्मचारी और पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगी हुई है ऐसी अवस्था मे जरा सी भी लापरवाही सभी के लिए प्राणघातक हो सकती है और फिर लोगों को कहने का मौका मिलेगा कि महाकाल के दरबार में भी क्या काल प्रवेश कर गया।
4 तारीख तक विकास गुरु ने पूजन किया, 5 तारीख से आशीष पुजारी का प्रवेश शुरू हुआ उस समय कहा गया था कि विकास गुरु कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित होने के पूर्व महाकाल मंदिर पर ही थे इसलिए मंदिर पर रहकर ही वह पूरी शासकीय पूजन का भार संभालेंगे पर 5 तारीख की शाम 5 बजे से आशीष पुजारी का आना शुरू हो गया, अब पूजा की जिम्मेदारी वह संभाल रहे हैं कंटेनमेंट क्षेत्र से अदला-बदली संभव है या संभव बनाई गई है यह प्रशासक और पुजारी जाने।