400 लोगों की शयन स्थली कूड़ा-करकट पर, यह कोरोना वायरस मुक्त उज्जैन की नरसिंह घाट की तस्वीर।
उज्जैन। उज्जैन विश्व प्रसिद्ध महाकाल ज्योतिर्लिंग वाली अवंतिका पुरी के बारे में यह कहा जाता है कि बाबा महाकाल यहां सभी का ध्यान रखते है, पर जाने क्यों विगत 40 दिनों से ऐसा लग रहा है कि बाबा महाकाल भी आइसोलेशन में चले गए हैं और उसकी प्रजा मानव की जगह भाजपा और कांग्रेस का वोट बैंक बनकर रह गई है। महाकाल की नगरी का नारा भूखे को अन्न और प्यासे को पानी अब 40 दिन मैं कई जगह संघर्ष करता दिख रहा है। शहर में दान करने वाली संस्थाओं ने धीरे-धीरे अपने हाथ खडे करना शुरू कर दिये है, कई जगह बीमार दुखी लोगों के भय से सामाजिक संगठन ने दूरी बना ली है, क्योंकि सेवा के साथ जीवन का भी मोल है आरडी गार्डी की हालत हर नागरिक को दिख रही है ऐसी अवस्था में कोई भी बिना चाहे मौत क्यों मांगेगा, क्योंकि उसे मालूम है की आरडी गार्डी में आखिरकार किस तरह से लापरवाह बैठे हुए हैं। नरसिंह घाट की अव्यवस्था चित्रों के माध्यम से चुप-चुप कर खुद कह रही है आखिर क्यों नहीं नगर निगम और शहर का प्रशासन इन लोगों की सुध लेता है? नरसिंह घाट पर रहे पर मानव जीवन-यापन रूपी व्यवस्था नहाना-धोना, साफ-सफाई के हकदार हैं। यहां की गंदगी और सघनता बताती है कि यदि गलती से भी कोई कोरोना पॉजीटिव हो गया तो अकेले नरसिंहघाट से ही शतक लग जाएगा। प्रशासन और निगम के कर्मचारियों को सब दिख रहा है सब मौन साधे बैठे हुए हैं 17 दिन का लाक डाउन और बढ़ गया है, इसी अवस्था में यहां के मालिक बाबा महाकाल ही है, प्रशासन ने तो ठान ली है कि कुछ होने दो....!
(जय बाबा अमरनाथ बर्फानी भूखे को अन्न प्यासे को पानी- नरसिंह घाट पर न पानी मिल रहा है, ना खाना, खाली पड़ी पानी की टंकी।)
निगम द्वारा नियुक्त माली भी ड्यूटी पर सिर्फ औपचारिकता कर रहा है - विगत दो-तीन महीने पूर्व ही नगर निगम ने नरसिंह घाट स्थित खाली पड़े मैदान को एक व्यवस्थित बगीचे का रूप दिया था, धीरे-धीरे यहां की गंदगी विदा होने लगी और यह स्वच्छ बगीचा दिखने लगा यहां इसकी देख-रेख के लिए चौकीदार भी नियुक्त है जो पौधों को पानी पिलाये, साफ-सफाई का ध्यान रखें, लेकिन यहां हालात ऐसे हैं कि ना तो साफ-सफाई हो रही है और ना ही पौधों को पानी पिलाया जा रहा है । यहां के बगीचे के बोरिंग की चाबी माली के पास रहती है नरसिंह घाट पर तीन-तीन टंकी होने के बावजूद उन्हें नहीं भरा जा रहा है, पीने के पानी की व्यवस्था का अभाव है पहले नगर निगम के टैंकर से नियमित रूप से लैट्रिन-बाथरूम की सफाई हो रही थी और पानी भी भरा जा रहा था, लेकिन लॉक डाउन के बाद किस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत थी वही नहीं हो पा रही है माली सुबह 10: 00 बजे तक ही यहां रहता है और उसके बाद अपनी सूरत नहीं दिखाता है, जबकि वह पूरी वस्तु स्थिति को जानता है फिर भी ना तो उसने अपने आला अधिकारियों को सूचित किया है और नहीं पार्षद को निगम को चाहिए कि ऐसे निठल्ले लोगों पर कार्यवाही करके लगाम लगाए।
(गाय, कुत्ता, मनुष्य सभी एक घाट पर, शायद कोरोना से या भाग्य से लड़ाई तो जारी है।)