मधुर, मिलन, कल्याण का लाक डाउन खुला - सटोरिया भी जागे स्वदेशी और आत्मनिर्भर
अग्नि साक्षी उज्जैन। अभी कुछ दिनों पूर्व ही मटका किंग मुंबई निवासी रतन खत्री की बीमारी के चलते मौत हो गई थी ज्ञात हो कि रतन खत्री का नाम मुंबई सट्टा बाजार से पूरे हिंदुस्तान में जाना जाता था सट्टे को पूरे हिंदुस्तान में एक सूत्र में पिरोने वाला यह भी एक बड़ा अर्थशास्त्री ही कहा जाएगा। जिसे मालूम रहता था मांग और पूर्ति का नियम वास्तव में क्या है, उसी आधार पर यह अंक खुलता था विगत कई दिनों से लॉक डाउन के चलते समस्त प्रकार का अंक वाला सट्टा पूर्ण रूप से बंद था मधुर, मिलन, कल्याण नामों से खुलने वाला सट्टा भी लॉक डाउन का पालन कर रहा था पर पहले मधुर फिर मिलन और अब परसों से कल्याण इन नामों से जाने जाने वाला सट्टा बाजार एक बार फिर उठ खड़ा हुआ है। सटोरियों और खाई वालों का कहना है कि वह भी भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं और पूर्णत: स्वदेशी तकनीक से आत्मनिर्भर स्वयं भी बनना चाह रहे हैं और ग्राहकों को भी बना रहे हैं भले ही यह धंधा कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं हो लेकिन इस धंधे को आज तक कोई बंद नहीं कर पाया। सख्त आदेश कितनी भी रही हो सट्टा हमेशा चालू रहा है लेकिन लॉक डाउन के कारण इसने भी लॉक डाउन का पालन किया पर अंतत: यह चालू हो ही गया। एक ओर जहां बेरोजगारी का आलम है वहीं दूसरी ओर यह सामाजिक बुराई कई लोगों का फायदा करेगी तो बड़ा नुकसान क्यों किसी भी प्रकार की अनुचित ही कही गई है।

बढ़ सकते हैं घरेलू अपराध और चोरी-चकारी -  पैसे के लिए आदमी लालच में आकर अपराध भी करता है परिवार में झगड़ा लड़ाई यह आज से नहीं बरसों से चली आ रही है कहीं लोग कर्जे के कारण सट्टेबाजी में आत्महत्या तक को गले लगा लेते हैं वर्तमान में भारत की स्थिति डामाडोल है लंबा लाकड़ौन बेरोजगारी इस अवस्था में यदि सट्टा चालू हो जाता है पूर्ण रूप से तो अपराध का कारण बन सकता है प्रशासन को चाहिए कि वह इस पर नजर रखकर इसे बंद कराएं अन्यथा शहर में कभी भी कुछ भी अशुभ घट सकता है क्योंकि आदमी लालच के वशीभूत होकर घर से लेकर बाजार तक कोई सा भी अपराध घटित कर देगा क्योंकि उसके पास पैसा अभी आना नहीं है और लालच उसे अपराध के लिए उकसा आएगी यह सट्टे में होता आया है प्रशासन जहां एक और महामारी से लड़ रहा है वहीं दूसरी ओर यह बीमारी परेशानी का कारण बन सकती है।