अग्नि साक्षी उज्जैन । विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में लॉक डाउन के दौरान शासन के आदेश का उल्लंघन कर महॉकाल मंदिर के नंदीहाल तक पहुंचने वाले इंदौर के छह युवकों के खिलाफ धारा 188, लाक डाउन उल्लंघन के अंतर्गत केस महाकाल थाने में दर्ज कर लिया गया है। इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार दैनिक अग्निसाक्षी की खोजी नजर में यह बात सबसे पहले आ गई थी कि इंदौर के छह युवक 19 तारीख के दिन शाम को 6: 30 पर अंकुर जायसवाल इंदौरी पत्रकार के साथ नंदीहाल तक पहुंच गए, जहां पर उन्होंने बाबा महाकाल के दर्शन किए और प्रतिबंधित होने के बावजूद कैमरे से फोटो खींचे और सेल्फी लेने के बाद उसे फेसबुक पर अपलोड भी किया। हमारी खोजी टीम को जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने इस संबंध में विस्तृत समाचार प्रस्तुत किया था तथा मंदिर प्रशासक चंद्रशेखर जोशी से भी इस संबंध में चर्चा करना चाहिए तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। समाचार की सत्यता को देखकर कलेक्टर आशिष सिंह ने मामले को संज्ञान में लेकर जांच का आदेश दिया और जॉच सहायक प्रशासक महाकाल मंदिर श्री ‘‘जोनवाल’’ को दी गई। जोनवाल से जब इस संबंध में अग्नि साक्षी ने चर्चा कि तो उन्होंने बताया कि प्रथम दृष्टया में यह गलत कार्य है, इस संबंध में जांच कर प्रतिवेदन मंदिर प्रशासक सुजान सिंह रावत को भेज दिया गया है। अपने कर्मचारी और सहायक प्रशासक सी.पी. जोशी का बचाव करते हुए जोनवाल ने कहा कि जो भी यह कार्य हुआ वह गलत है, उन्होंने अधिकारी का बचाव करते हुए यह कहा कि अधिकारी ने फोन पर शिखर दर्शन की अनुमति दी थी, ज्ञात हो कि उज्जैन पहुंचने के बाद शिखर दर्शन के लिए अधिकारी की अनुमति की जरूरत नहीं है अब यह जोनवाल जी ही बताएं कि शिखर के दर्शन कब से नंदी ग्रह के अंदर से होने लग गए हैं। उन्होंने सटीक बहाना बनाते हुए कहा कि शायद कर्मचारी सही रूप से सुन नहीं पाया इसलिए वह उन्हें नदी ग्रह तक ले गया इतना होने के बाद भी हाथी को चूहा बताना गलत है।
{अंकुर जायसवाल ने फेसबुक आईडी पर यह फोटो डाला है जिसमें उसने मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य विजय गुरु के पुत्र बालागुरु को टैग कर ब्लेसिंग आशीर्वाद द्वारा बालागुरु (यदि उस का हिंदी रूपांतरण किया जाए तो यह लिखा है)}
60 दिन में छठी बार उल्लंघन
महाकाल मंदिर में दर्शन व्यवस्था को लॉक डाउन हुए 60 दिन से अधिक हो गए हैं इस अवधि में तीन बार अधिकारियों ने उल्लंघन कर गर्भ ग्रह में कपड़े सहित प्रवेश किया, इनमें से दो मंदिर व्यवस्था से जुड़े हुए थे एक अधिकारी का भोपाल ट्रांसफर हो चुका है दो उज्जैन में ही मौजूद है उसके अलावा एक बार कांग्रेसी नेता और एक बार भाजपा के नेता ने और तीसरी बार पत्रकार बंन कर आए इन 6 लोगों ने 60 दिन में उल्लंघन की छठी घटना को अंजाम दिया। ज्ञात हो कि शुरू की चार घटनाओं के समय चंद्रशेखर जोशी प्रशासक नहीं थे, उन्हें वर्तमान कलेक्टर आशीष सिंह के आने के बाद चार्ज दिया गया था और पहले ही उल्लंघन में वह पवेलियन लौट गए। श्री महॉकाल मंदिर में यह स्थिति आज से नहीं बरसों से विद्यमान है परंतु जब पुजारी भी सिर्फ एक ही गर्भ गृह में जा रहा है ऐसी स्थिति में इतनी बड़ी लापरवाही आखिर कैसे हुई की पांच-पांच लोग नंदीहाल पहुंच गए। यह भाग्य की बात है कि जोशी जी ने एक ही बार गलती कि और कलेक्टर महोदय ने दंड देने में राजा विक्रमादित्य सा न्याय किया। यह बता दे राजा-राजा में फर्क है याने कलेक्टर शशांक मिश्र और आशीष सिंह की कार्यशैली में फर्क है इसीलिए दंड शैली में भी फर्क होना जायज है।
{यह जांच का विषय यहां तक कैसे आए जबकि अन्य क्षेत्र प्रभारी निरीक्षक पंड्या है उनकी अनुमति के बिना अन्य क्षेत्र क्रॉस नहीं हो सकते।}
कौन है इंदौर निवासी अंकुर जायसवाल और पांच लोग?
जब अग्नि साक्षी ने महाकाल मंदिर में प्रवेश करने वाले शख्स को फोटो से पहचानना चाहा तो हमारे सूत्रों ने बताया कि उसका नाम अंकुर जायसवाल निवासी इंदौर बजरंग नगर के पास तीन मंजिला अपार्टमेंट में एमडी 52 मकान नंबर है पर वह किराए से रहता है, उसका उज्जैन आना-जाना कई वर्षों से अनवरत जारी है उज्जैन के अधिकारियों और सत्कार कार्यालय में ड्यूटी करने वाले राजेंद्र सिसोदिया का अच्छा परिचित है, उन्हीं के माध्यम से उज्जैन में उनका संपर्क बड़ा है पहली बार नहीं है कितनी ही बार यह वीआईपी प्रोटोकॉल में दर्शन करके जा चुका है, लेकिन इस बार स्थिति भिन्न है क्योंकि लॉक डाउन चल रहा है मंदिर में पूर्णता आने-जाने पर प्रतिबंध है। उज्जैन के पत्रकार तक अंदर तक नहीं जा पा रहे हैं ऐसी स्थिति में अंकुर जायसवाल का नंदी गृह तक पहुंचना एक चमत्कार से कम नहीं है, हालांकि प्रशासन ने अंकुर और पांच साथियों पर 188 और 144 उल्लंघन की कार्रवाई कर दी है। ज्ञात हो पहले भी यह महाकाल मंदिर में एक हवन का कार्यक्रम आयोजित कर चुका है यहां यह बात जानने योग्य है कि अंकुर के साथ आए वह 5 लोग कौन थे सूत्र बताते हैं कि अंकुर मंदिर में प्रोटोकॉल लाने का आदि है राजेंद्र सिसोदिया से लेकर अन्य सत्कार शाखा के कर्मचारी भी उसे अच्छी तरीके से पहचानते हैं।
आखिरकार जल द्वार तक पहुंचे कैसे? उस छेद को प्रशासन बंद करें
अंकुर जायसवाल व अन्य 5 लोग नंदीहाल तक किस रास्ते से पहुंचे यह भी जांच का विषय है अधिकारी इस संबंध में सही जवाब देने से बच रहे हैं, लेकिन जिस तरह से वह जल द्वार से अंदर घुसते हुए दिख रहे हैं वह बता रहा है कि यह लोग अन्य क्षेत्र वाले रास्ते से धर्मशाला के गेट से होते हुए या सूर्यमुखी द्वार से अंदर आए हैं, जल द्वार पर कर्मचारी अनिल की ड्यूटी रहती है इन्हें किसी ने रोका-टोका नहीं मतलब कि इनके साथ कोई कर्मचारी या प्रोटोकॉल संभालने वाला जवाबदार आदमी निश्चित होगा अन्यथा महाकाल मंदिर के कर्मचारी इतने सीधे नहीं है कि लाक डाउन की अवधि में 6 लोगों को जल द्वार से प्रवेश दे, दे क्योंकि आम समय पर भी जल्द द्वार पर चांदी द्वार से प्रवेश के समय रजिस्टर में लिखा जाता है कि भेजने वाले का नाम, प्रोटोकॉल हां यह बात अलग है पैसा देने पर कर्मचारी चुप हो जाता है और बिना लिखे जजमानों को अंदर कर दिया जाता है। लाक डाउन की अवधि के बारे में उज्जैन में कुछ नहीं कहा जा सकता रोज बढ़ रहे संक्रमण शायद इसे आगे बढ़ा दें क्योंकि जब तक चैन नहीं टूटेगी तब तक क्लॉक डाउन उज्जैन में चलने की संभावना है। रेड जोन से भी मुक्ति तब तक नहीं मिलेगी ऐसी स्थिति में मंदिर प्रशासक महोदय को चाहिए कि वह उस छेद को बंद करें जिस छेद में से निकल कर यह सुरंग बनाई गई और जल्द द्वार तक यह आए।
इनका कहना-
"जोनवाल ने बताया कि प्रतिवेदन तैयार कर प्रशासक महोदय को भेज दिया है उनका कहना था कि सीपी जोशी ने कहा था कि शिखर दर्शन करा देना।"
( यह समझ से परे है कि सीकर दर्शन की परमिशन कब से लगने लग गई)
- मूलचंद जोनवाल सहायक प्रशासक और जांच अधिकारी
सुजान सिंह रावत मंदिर प्रशासक ने बताया कि मुझे आज-कल आरडी गार्डी का भी प्रभार दिया गया है इसलिए मुझे जानकारी मिली थी तब मैने मूलचंद जोनवाल को जांच अधिकारी नियुक्त किया एवं उनके प्रतिवेदन को कलेक्टर महोदय के पास पहुंचा दिया है उसमें सी.पी. जोशी को पद से हटाते हुए उनकी पदस्थापना भू अभिलेख में वापस भेज दिया गया है, अंकुर जायसवाल सहित छह लोगों पर 188 और 144 उल्लंघन का प्रकरण कायम किया गया है।
- सुजान सिंह रावत प्रशासक महाकाल मंदिर