अग्नि साक्षी उज्जैन । नरसिंह घाट के सामने स्थित गोंड बस्ती के कई गुंडा तत्वों द्वारा नरसिंह घाट पर दादागिरी पूर्वक डराने-धमकाने का काम चमकाना चल रहा है जहां तक देखा जाए तो गोंड बस्ती वाले लोग खाना बटने के समय दोपहर और शाम को पहुंच जाते हैं और दादागिरी पूर्वक मजदूर और भिखारियों को डराया जाता है और आगे लाइन में लगकर यह लोग भोजन ग्रहण कर लेते हैं। यह लोग सिर्फ भोजन के समय ही नरसिंह घाट पर आते हैं बाद में गायब हो जाते हैं। विरोध करने पर शराब पीकर झुंड बनाकर नरसिंह घाट में आते हैं और भिखारी और मजदूरों को डराते हैं। एक तरफ कोरोनावायरस की मार दूसरी तरफ गुंडों की मार से भिकारी और मजदूर त्रस्त हैं, क्योंकि पुलिस प्रशासन अभी ड्यूटी में लगा हुआ है कोई जवाबदार आदमी नरसिंह घाट पर नहीं रहता है। इस कारण यह लोग भोजन पर अपना अधिकार जमा लेते हैं और जरूरतमंद बिचारे भूखे रह जाता है, विरोध करने पर उसे मालूम है कि मार खाना है लॉक डाउन में इस तरह की गुंडागर्दी पूरे शहर में सिर्फ यही देखी जा रही है जहां भोजन के लिए भी लोगों को डरा धमकाया जा रहा है।
कौन है गोंड बस्ती वाले
गोंड बस्ती नरसिंह घाट के सामने स्थित गरीब आवास में रहने वाले वह लोग हैं जो विशेष वर्ग में आते हैं यह राजनीतिक पार्टियों के ठोस वोट बैंक है, इसके कारण इन सभी के गरीबी रेखा के राशन कार्ड बने हुए हैं शासन के द्वारा दी जाने वाली सभी योजना का लाभ लेते हैं, कच्चा राशन घर पर उपलब्ध होने के बावजूद भी यह लोग नरसिंह घाट को नहीं छोड़ते हैं क्योंकि यह पार्टी का वोट बैंक है इसलिए पार्टी भी चुपचाप बैठी रहती हैं। ज्ञात हो कि भाजपा नेताओं के फोन लगने के बाद कई संस्थाएं गोंड बस्ती में भोजन के पैकेट बांटती हैं। कई छुट भैया नेता भी जाकर भोजन के पैकेट अपने नेताओं से लेकर आ जाते हैं, जो पर्याप्त होते हैं लेकिन उसके बाद भी नरसिंह घाट पर गरीबों के लिए आने वाले भोजन में इस तरह की लूटमार करते है ये गुंडे। ज्ञात हो कि लाक डाउन के समय यहां पर अवैध शराब भी बिक रही थी उसने कच्ची पोटली का रूप ले लिया है उसके बाद भी आखिर क्यों यह लोग इस तरह की हरकत करते हैं समझ से परे है।
कई लोगों ने किराए से दे रखे हैं मकान
गोंड बस्ती में केंद्र की योजना के अनुसार गरीबों के रहने के लिए फ्लैट मल्टी सिस्टम में बनाए गए हैं जिन लोगों की झुग्गी झोपड़ी थी उन्हें इन में शिफ्ट किया गया लेकिन देखने में यह आया कि इन लोगों ने अपने राजनीतिक पहुंच व जाली कागजातों के दम पर 22 मकानों पर कब्जा कर लिया। कई लोग किरायेदारों को मकान देने लग गए हैं, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि कहीं भिकारी 50000 से 100000 तक पगड़ी देकर इन मल्टी में किराए से रह रहे हैं।
पुलिस की उपस्थिति में भोजन वितरण होना चाहिए मजदूर और भिखारियों की मांग
गोंड बस्ती के आतंक से डरे और सहमे हुए मजदूर और भिकारी जो नरसिंह घाट पर अपना डेरा बनाए हुए हैं वह इस कदर डरे हुए हैं कि एक-एक दिन भूखे रह जाते हैं पर विरोध नहीं करते, क्योंकि रहना इन्हें यही है और फिर मगरमच्छ से बैर रहकर पानी में नहीं रहा जा सकता। उन लोगों ने रोते हुए दैनिक अग्नि साक्षी प्रतिनिधि को बताया कि पुलिस के गार्ड की उपस्थिति में ही भोजन बांटना चाहिए रोज-रोज नए-नए दादा-पहलवान आते हैं और डराते हैं जिससे मजदूर और अधिकारी भूखे रह जाते है और सारा खाना यह लोग ले जाते हैं।
तीन हत्याएं हो चुकी है लॉक डाउन में कहीं मजदूर और भिकारी डर के मारे चौथी को अंजाम ना दे दे
यूं तो लग डाउन 22 मार्च से ही जारी है सब चीज बंद जनता कफ्र्यूू के बाद से समस्त तरीके की वाहन व्यक्ति बाजार में प्रतिबंधित हैं इसके बाद भी धार्मिक नगरी उज्जैन अपना रंग जमाना नहीं छोड़ती है लाख डाउन अवधि के दौरान शहरी क्षेत्र में ही 3 हत्याएं हो चुकी है यदि गरीब और भिखारी के मुंह का निवाला इसी तरह गोंड बस्ती के युवकों द्वारा छीना जाता रहा तो हो सकता है मजबूरन पेट की खातिर यह लोग भी कोई ऐसा ही कदम उठा दें इसलिए प्रशासन को चाहिए कि यहां पुलिस की निगरानी में ही भोजन बटे।
संस्था गुरु कृपा दीपक चौरसिया नाम के समाजसेवी भी कभी-कभी अपनी टीम का रुख नरसिंह घाट की ओर मोड़ देते हैं वह 12 महीने ही संस्था के नाम से दरिद्र नारायणओं की सेवा करते हैं।
शांति धाम वृद्ध आश्रम से नित्य खिचड़ी बांटने आती गोयल भाई समाज सेवक की यह गाड़ी। नरसिंह घाट के भिखारी और मजदूरों का शाम आसरा है।