अग्नि साक्षी उज्जैन । विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी जहां पर यह मुहावरा बड़ा लोकप्रिय है कि यहां का हर वासी बाबा महाकाल के भरोसे रहता है और बाबा महाकाल कभी किसी को रात में भूखा नहीं सोने देता, लेकिन कोरोनावायरस संक्रमण के कारण सारे शहर में अफरा-तफरी मची हुई है मंदिर बंद है, मस्जिद बंद है ईश्वर का रूप धरकर पुलिस और अस्पताल कर्मी घूम रहे हैं। कहीं-कहीं पर बड़ी गाड़ी में यमराज का रूप धरे अस्पताल प्रबंधक भी दिख रहे हैं। नवआगंतुक कलेक्टर महोदय आशीष कुमार सिंह ने चार्ज लेने के दूसरे दिन शहर में भोजन बांटने वाले सभी सामाजिक संगठन संस्थाओं के पास निरस्त कर दिए और आदेशित किया कि वह भोजन बनाने की समस्त सामग्री और भोजन के पैकेट नगर पालिका निगम में एकत्रित कर दें, वहां से निगम कर्मी इसे संबंधित लोगों तक पहुंचा देंगे। कलेक्टर महोदय के आदेश संगठन और भोजन बांटने वाले 70 प्रतिशत लोग चुपचाप बैठ गए, कुछ लोग गुपचुप तरीके से डर और भय के साथ भोजन बांट रहे हैं पर नगर निगम तक बहुत कम संगठन पहुंच रहे है,ं ऐसी अवस्था में जिन क्षेत्रों में भोजन की सबसे अधिक आवश्यकता है वहां पर भोजन नहीं पहुंच पा रहा है। इस संबंध में जब अग्नि साक्षी के प्रतिनिधि ने दौरा किया तो पाया कि कई मुख्य जगह भोजन रात्रि 9:00 बजे तक नहीं पहुंचा था, ऐसी स्थिति में लोगों ने बताया कि 2 दिन से शाम को बमुश्किल भोजन आ रहा है कुछ लोग गलियों में से आकर मदद अवश्य कर जाते हैं पर वह पर्याप्त नहीं है। ऐसी अवस्था में कलेक्टर महोदय को चाहिए कि वह पूर्व व्यवस्था को यथावत रखे या संगठनों से इतनी राय शुमारी अवश्य करें कि आखिर कौन-कौन से मुख्य स्थान हैं और कहां कौन भोजन बांटने जाता था? उसके बाद ही वस्तु स्थिति स्पष्ट होगी, अन्यथा रोज-रोज का भूखा कहीं कोरोना के पहले ही प्रशासन के लिए परेशानी ना खड़े कर दें।
क्षेत्र नंबर 1 - आरडी गार्डी अस्पताल के पास शीतला माता मंदिर
यहां पर मंदिर से सामाजिक संगठन द्वारा रोज शाम व सुबह भोजन बांटा जाता था लगभग ढाई सौ पैकेट से अधिक प्रतिदिन समीप के लोग व मजदूर नित्य 37 दिन तक ले गए। प्रशासन के आदेश के बाद इन लोगों ने भी भोजन बांटना बंद कर दिया है और ना ही यहॉं के लोगो को नगर निगम पर भोजन सामग्री बना कर दे रहे है। जब अग्नि साक्षी ने यहां के मुख्य कार्यकर्ता कैलाश लश्करी, भूपेश कौशल, महेश डायना से बात कि तो उन्होंने बताया कि, 3 दिन से भोजन प्रसादी बनाने का कार्य बंद कर दिया गया है, लोगों को बोल दिया है कि नगर निगम व्यवस्था करेगी। भोजन बांटने के समय हम लोग भी यहां से हट जाते हैं क्योंकि उम्मीद में लोग हमें वापस पकड़ते हैं इसलिए हमने अब इस जगह पर खड़े रहना बंद कर दिया है क्योंकि कोई उम्मीद से आता है और नहीं दे पाए तो दिल दुखता है।
क्षेत्र नंबर 2 - मौलाना मौज की दरगाह योग माता मंदिर के सामने
अग्नि साक्षी की टीम जब क्षेत्र नंबर दो योग माया माता मंदिर के पास पहुंची तो सडक़ पर बैठे लोगों के समूह से पूछा कि आखिर क्यों बैठे हैं, तब उन्होंने बताया कि मौलाना साहब की दरगाह से नमाज के बाद हमें भोजन व्यवस्था मिलेगी, भोजन व्यवस्था से यह लोग भी असंतुष्ट नजर आए। हरसिद्धि माता मंदिर से मौलाना मोज दरगाह तक यह लोग पुलिस के डर से छुपते हुए, भोजन की ललक में डंडे की प्रवाह करें बिना आ गए। इस दृश्य को देखकर वास्तव में ऐसा लगा था मजहब नहीं सिखाता... आपस में बैर रखना... हिंदी हैं हम वतन है हिंदुस्तान हमारा.... जरूरतमंद की कोई जात-पात नहीं होती और देने वाला ईश्वर का फरिश्ता होता है यही मूल धर्म है भूखे को रोटी और प्यासे को पानी....!
क्षेत्र नंबर 3 - नरसिंह घाट
हमारा तीसरा क्षेत्र नरसिंह घाट था यहां पर चिर-परिचित अंधेरे ने अपनी चादर ओढ़ रखी थी, अग्नि साक्षी की टीम को देखकर अंधेरे से कुछ लोग बाहर आए और अपनी परेशानी कहीं, सुबह महाकाल मंदिर की ओर से भोजन के पैकेट आए थे उसमें चार पूरी, एक लड्डू, सब्जी-अचार था लेकिन चार पूरी पूरे दिन के लिए पर्याप्त नहीं हो सकती ऐसी अवस्था में भूख मिटाना संभव नहीं है। यहां बैठे लोगों ने बताया कि एक सफेद गाड़ी सुधीर भाई गोयल कि इधर रोज आती है, जो एक-एक दोना खिचड़ी बांट कर अवश्य जाती है। बाकि शाम को सिर्फ आस के ऊपर या तो भोजन मिल जाता है या रात कट जाती है....!
क्षेत्र नंबर 4 - मां चामुंडा माता चौराहा, इंदौर टैक्सटाइल मिल
हमारे राउंड का चौथा क्षेत्र इंदौर टेक्सटाइल चौराहे पर स्थित पशुपतिनाथ मंदिर का रहा, यहां पर भी 50 से 100 के बीच भोजन के इंतजार में दरिद्र नारायण बैठे थे, तभी एक ठेले पर कुछ युवक खिचड़ी के दो तपेले लेकर आए। बुझी हुई रात में अचानक इन लोगों को रोशनी दिखी और ठेले को चारों तरफ से घेर लिया। हमने ठेले वाले युवक से पूछा तो उसने बताया कि, मैं प्रतिदिन यहां पर खिचड़ी बांटने आता हूं। वहां उपस्थित दरिद्र नारायण से हमने पूछा कि, देवता- शाम का भोजन आया कि नहीं उन्होंने सिर इंकार में हिला दिया।
चकोर पार्क पर बैठे गुजरात के मोरबी से आए 60 से अधिक संख्या में लोग
जब हमने चकोर पार्क के सामने की स्थिति देखी तो भीड़ को देखकर हमारे आंखें चोकन्नी हो गई कि, आखिर इतने सारे लोग यहां तक कैसे आ गए। हमने जब इनसे जानकारी ली तो पता पड़ा कि यह लोग गुजरात मोरबी से आए हैं। इनमें से कुछ लोग सतना-रीवा कुछ सहारनपुर और 50 के लगभग सागर जिले के लोग हैं। क्षेत्रीय लोगों ने इनकी मदद कि और भोजन की व्यवस्था करने के बाद पुलिस को सूचना दी। पुलिस के जवान आए और इन्होंने और नगर निगम कर्मियों ने इन्हें नाश्ता उपलब्ध कराया और बोला कि सुबह इन्हें पुलिस टे्रनिंग सेन्टर (पीटीएस) से बसों द्वारा अपने निर्धारित क्षेत्रों में पहुंचा दिया जाएगा। यहां गौर करने वाली बात यह है कि मोरबी से मध्य प्रदेश बॉर्डर जहां इन्हें छोडऩा बताया जा रहा है वह दाहोद के समीप है वहां से यह लोग इतनी बड़ी संख्या में छुपते-छुपाते गाडिय़ां बदलते हुए यहां तक पहुंचे वह तो भला हो क्षेत्र वासियों का और इस मालवा की मिट्टी का, कोई दूसरा शहर होता तो निश्चित वहां लिंचिंग की स्थिति निर्मित हो जाती, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या देखकर कोई भी शहर घबरा जाता। रहवासियों व अन्य लोगों ने भी अपना कर्तव्य निभाया और इन्हें कच्ची राशन सामग्री व भोजन व्यवस्था करा कर इन्हें इस अवस्था में भी मालवा की प्रसिद्ध दाल बाटी का आनंद कराया, धन्य है... अवंतिका नगरी के लोग...!
गुजरात से एमपी तक एक-एक सवारी से ट्रक वाले ने 1000 रूपये वसूले
मोरबी से मध्य प्रदेश तक आने के लिए ट्रक वाले ने प्रति सवारी 1000 रूपये छीने, इसी स्थिति में ट्रक ड्राइवर द्वारा इस तरह का मानवता पर अत्याचार अक्षम्य अपराध की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। पुलिस प्रशासन गुजरात और मध्य प्रदेश दोनों को मिलकर बॉर्डर के पास जहां के यह लोग है जिन्हें छोडऩा बता रहे हैं, दाहोद के समीप का वीडियो फुटेज निकालकर उस ट्रक वाले पर अपराधिक कायमी की जाना चाहिए। इस स्थिति में इस तरह की लूटमार ही लोगों को आत्महत्या तक पर मजबूर कर देती है। शासन इस मामले को संज्ञान में ले और कार्रवाई करें ताकि, अन्य लोगों को भी सबक मिले कलेक्टर महोदय सक्रिय हैं यदि वह चाहे तो उस ट्रक वाले चोर को ढूंढ सकते हैं जो इन लोगों को बॉर्डर तक छोडऩे का इतना बड़ा चूना लगा गया, वह भी विचारे मजदूर वर्ग को जो रास्ते भर खाने-पीने के लिए तरसते रहेे।
भोजन बांटने वाली संस्थाओं पर लॉक-डाउन रहा फैल, दो-तीन दिनों में ही गड़बड़ा गई व्यवस्था