यह बस अफवाह मात्र, घर से ज्यादा क्वॉरेंटाइन सेंटर में आनंद उठा रहे है अल्पसंख्यक परिवार, नवागत कलेक्टर और एस.पी. के आने से और सुधरी व्यवस्थाएं
उज्जैन । एसपी और कलेक्टर से मीटिंग के बाद पार्षद जफर सिद्दीकी और रहीम लाला ने बताया था कि लोग इस तरह की अफवाह उड़ा रहे हैं कि मुस्लिम लोगों को इंजेक्शन लगा कर मार दिया जा रहा है, इसलिए लोग जांच कराने नहीं आ रहे हैं जिसके बाद एसपी और कलेक्टर ने आश्वासन दिया कि ऐसा कुछ नहीं है। वीडियो बताता है अल्पसंख्यक परिवार पुरे आनंद में है खुद ही कह रहे हैं कि मजा आ रहा है कोई परेशानी नहीं है खाने पीने की श्री गंगा से नाश्ता रहे हैं मालवा कंपनी की ब्रेड आ रही है हंसी खुशी और चाहल पहल का माहौल है क्वॉरेंटाइन सेंटरों में अल्पसंख्यकों का आनंद है कुछ मजहबी लोग जरूर व्यवस्था को बिगाड़ रहे हैं, चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान उन्हें अपने इस कर्म पर विराम देना चाहिए, क्योंकि जब तक कोरोना की आखरी चेन नहीं तोड़ दी जाएगी तब तक यह शहर डर और भय के माहौल में ही सांस लेगा। प्रधानमंत्री ने भले ही पैकेज घोषित कर दिया हो लेकिन इसका उपभोग जीवित आदमी ही करेगा, इसलिए अल्पसंख्यक भाई इस वीडियो और फोटो को देखें और खुद तय करें कि उन्हें जांच कराने जाने में क्या परेशानी है, कोई किसी को नहीं मार रहा 80 साल तक के लोग ठीक होकर आ रहे हैं यह बीमारी धर्म देखकर हमला नहीं कर रही है इंसान पर हमला कर रही है अल्पसंख्यक मोहल्ले के रहवासी यदि आपकी तबीयत खराब रहेगी तो यह शहर बंदिशों से मुक्त नहीं हो पाएगा। अभी सर्वप्रथम टेस्टिंग द्वारा संक्रमण को खत्म करना है।
कल कलेक्टर महोदय और एसपी को पार्षदों ने बताया था जहरीला इंजेक्शन का खौफ, निकला पूर्णत: निराधार- शहर में अल्पसंख्यक तबका लगातार जांच से बच रहा है जांच टीम जाती हैं तो उन्हें बैरंग वापस भेज दिया जाता है। पूर्व एसपी और कलेक्टर भी कोशिश कर-कर के हार गए थे, लेकिन उस समय कारण बाहर नहीं आ पाया था इसलिए सभी असमंजस में थे क्योंकि कल पार्षद जफर सिद्दीकी और रहीम लाला से जब एसपी और कलेक्टर ने चर्चा की तो उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यकों को यह बता दिया गया है कि अस्पताल जाने पर उन्हें जहरीले इंजेक्शन लगाकर मार दिया जा रहा है। ज्ञात हो यदि ऐसी कुछ बात होती तो सबसे ज्यादा ठीक होकर भी अल्पसंख्यक लोग ही बाहर आए हैं यह बात जुदा है कि मरने वालों में आंकड़ा भी उन्हीं का सबसे ज्यादा है, लेकिन यह उन्हें भी मानना पड़ेगा कि जितने भी अल्पसंख्यक अस्पताल लाए गए हैं वह गंभीर अवस्था में ही लाए गए थे। जब उनके अंदर ऑक्सीजन का प्रतिशत बहुत कम बचा था इसका स्पष्ट कारण पूर्व कलेक्टर शशांक मिश्रा भी दे चुके हैं ऐसी स्थिति में यह कहना ही उचित होगा कि अफवाहों ने मुस्लिम भाइयों की जान ली है, अब यह अफवाह उड़ाने वाले या धर्म के नाम पर डर बैठाने वाले कौन लोग थे प्रशासन को इसका पता करना चाहिए ताकि इस वायरस के खिलाफ चलने वाली लंबी जंग बेखौफ होकर जीते।