उज्जैन । कोरोना वायरस का कहर धीरे-धीरे पूरे शहर को आगोश में लेने के लिए तत्पर दिख रहा है एक और जहां प्रशासनिक अमला लॉक डाउन खुलने के सब्जबाग दिखा रहा है वहीं दूसरी ओर हालात बयान कर रहे हैं कि यदि लॉक डाउन खुला तो सारा शहर संक्रमित हो जाएगा टेस्टिंग के नाम पर अभी भी शून्यता है कंटेनमेंट एरिया तक में टेस्टिंग पूरी नहीं हो पा रही है ऐसी स्थिति में सम्पूर्ण शहर के कई क्षेत्र मे लॉक डाउन का खुला उल्लंघन हो रहा है शहर में महाकाल मंदिर के पीछे स्थित नृसिंह घाट पर लगभग 400 से ऊपर भिकारी व कामगार डेरा जमाए बैठे हैं अधिकांश प्रारंभिक संक्रमण सर्दी-खांसी से पीडि़त हैं नरसिंहगढ़ से लेकर हरसिद्धि मार्ग तक यह लोग सुबह से भीड़ लगाए बैठे रहते हैं, कभी चाय का इंतजार तो कभी भोजन का नरसिंह घाट से इनकी भीड़ जब निकलती है तो ऐसा लगता है जैसे कोई औद्योगिक इकाई की छुट्टी हुई हो। सामाजिक दूरी की बात दूर की साबित हो रही है ज्ञात हो कि यह सब लोग रात्रि कालीन शयन भी यही करते हैं,कुछ साधु संत पेड़ के नीचे बैठे हैं तो वहीं दूसरी ओर बगीचे में भीड़ की भरमार है, वैसे आधे लोग हरसिद्धि मंदिर के सामने स्थित पोर्च में शाम होते ही एकत्रित हो जाते हैं और अपने शोक की सामग्री जिंजर, गांजा, चरस के साथ कोहराम मचाना शुरु करते हैं। भयभीत क्षेत्रवासी वायरस संक्रमण के कारण उनके नजदीक जाकर समझा भी नहीं पाते। प्रशासन के कई अधिकारी यहां से निकलते हैं पर अभी तक कोरोना संक्रमण के संभवत इस पॉइंट पर न तो स्क्रीनिंग हुई है न जांच हुई है, फिर भी प्रशासन इतनी बड़ी भीड़ को एक साथ कैसे एकत्रित होने दे रहा है, यह समझ से परे है। पार्षद भी मदमस्त होकर इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है यहां पर संक्रमण की स्थिति निर्मित हो सकती है यह शायद अंदरूनी हो भी रही हो महापौर, जिला चिकित्सा अधिकारी को इस ओर ध्यान देकर वहां पर समुचित व्यवस्था कराई जाना चाहिए अन्यथा कभी भी कोई हादसा हो सकता है।
हरसिद्धि मंदिर क्षेत्र के रहवासी भयभीत, पंडे-पुजारियों ने बांधी पाल इन परिस्थितियों में हरसिद्धि मंदिर चेकप्वाइंट पर ड्यूटीरत पुलिस वाले भी घबरा रहे हैं क्योंकि यह क्षेत्र भी धीरे-धीरे कोरोना का संक्रमित क्षेत्र होते जा रहा है, चार लोग अभी तक संक्रमित पाए गए हैं कलेक्टर के नाजिर की मौत हो चुकी है ऐसी अवस्था में इन लोगों ने इन्हें हरसिद्धि मंदिर के सामने से भगाने का काम तो शुरू कर दिया है पर यह फिर एकत्रित हो जाते हैं पुलिस के कर्मचारी खुद कहते हैं कि अभी जांच हो तो संभवत: इनमें से कुछ लोग संक्रमित निकल सकते हैं।
हरसिद्धि मंदिर स्थित चेकप्वाइंट पर पुलिस वाले भी डर रहे हैं
नरसिंह घाट की इस खतरनाक भीड़ का आलम यह है कि इनका आना-जाना हरसिद्धि मंदिर के पीछे वाले रास्ते से हो रहा है जो कि रहवासी क्षेत्र है प्रवासी घबरा रहे हैं दिनभर इन लोगों का आवागमन लगा रहता है गंदी-गंदी अवस्था में थूकते हुए क्षेत्र में घूमते हैं संक्रमण के डर के मारे पंडे-पुजारियों ने भी क्षेत्र को बंद कर दिया है राजू गोस्वामी हरसिद्धि मंदिर पुजारी के अनुसार प्रशासन इनकी जांच नहीं कर रहा है यह लोग संक्रमण फैला कर पूरे क्षेत्र को परेशानी में डाल सकते हैं। जयेश गुरु हनुमान कुटी मंदिर के पुजारी ने बताया कि सम्पूर्ण क्षेत्र भयभीत है बीच में थूकने की घटना को लेकर यहां पर विवाद की स्थिति निर्मित हो गई थी, पुलिस ने हस्तक्षेप किया पर अभी भी लोग नहीं मान रहे हैं। भरत पुरी गोस्वामी संतोषी माता मंदिर के पुजारी बताते हैं कि सारे क्षेत्र में इन लोगों का संक्रमण हो रहा है एक स्थाई जगह दी जाकर नरसिंह घाट पर रह रहें और वहीं इनके खाने-पीने की व्यवस्था हो तो ठीक है अन्यथा यह क्षेत्र कभी भी संकट में आ जाएगा। क्षेत्र में छोटे बच्चे डर के मारे घर के आंगन में तक नहीं आते हैं हालत खराब होते जा रहे हैं।
नरसिंह घाट पर तीन-चार मंदिर बने हुए हैं जहां पर नित्य पूजा करने आते हैं एक-दो आश्रम भी यहीं से संचालित होते हैं पर सभी लोग डरे हुए हैं कई बार इन्होंने ऊपर खबर कर रोजाना इस क्षेत्र को सैनिटाइज करने के लिए पार्षद एवं जिम्मेदार अधिकारी को बोला पर आज तक सुनवाई नहीं हो पाई है, शायद प्रशासन किसी बड़ी घटना का इंतजार कर रहा है उसके बाद आंख खुलेगी। देखा जाए तो यह क्षेत्र मरकज निजामुद्दीन की याद दिला रहा है अधीनस्थ कर्मचारी अधिकारियों से क्यों छुपा रहे हैं या अधिकारी खुद कुछ कार्यवाही नहीं करना देना चाहते यह समझ से परे है प्रशासन को चाहिए कि इनकी व्यवस्था यही रखें पर इन्हें साबुन सोडा भोजन सभी नरसिंह घाट स्थित बगीचे में ही मिले ताकि यह लोग बाहर आकर लोगों को भयभीत वह सही में संक्रमित ना कर दें अभी तक कोई भी चिकित्सक अमला यहां नहीं आया है और ना ही किसी ने भी इनकी सुध ली है। हां इनका दोष इतना अवश्य है कि यह न तो भाजपा के वोटर है ना कांग्रेस के यह वास्तविक शरणार्थी दरिद्र नारायण हैं जिन्हें सहायता की सबसे अधिक जरूरत है।
नियमित रूप से सैनिटाइज भी नहीं हो रहा है नरसिंह घाट स्थित यह पाइंट नरसिंह घाट स्थित इस जगह को गौर किया जाए तो यह सब रोजगार मजदूर हैं कई लोग इसमें से बैग लेकर अपने घर जाने के लिए आतुर हैं भोजन और चाय की लालच में यह लोग सडक़ों पर निकलते हैं और झुंड बनाते हैं उज्जैन के सामाजिक संगठन उन्हीं लोगों को खाना बांट रहे हैं जो उन्हें वोट दें। चाहे भाजपा हो या कांग्रेश सुधीर भाई गोयल वृद्ध आश्रम वाले और कुछ संगठन के लोग वहां खाना लेकर जाते हैं पर प्रतिदिन नहीं अन्यथा खाने की चाह इन भूखे बेसहारा लोगों को डंडे खाते हुए हरसिद्धि तक खींच लाती है, आखिर जिंदा रहने का सवाल है।
खाने और चाय की लालच में आते हैं सडक़ों पर वोट बैंक नहीं है इसलिए भोजन बांटने वाले भी नहीं आ रहे हैं
एक ओर जहां महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के अन्न क्षेत्र से 3000 पैकेट भोजन के देने का दावा किया जा रहा है वही आप मैदानी स्तर पर जाएंगे तो पता पड़ेगा कि दिया तले ही अंधेरा है मंदिर समिति मुश्किल से डेढ़ सौ से 200 पैकेट हरसिद्धि माता मंदिर पर बांट रही है बाकी सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से कहां पहुंचा रही है यह समझ से परे है जबकि आवश्यकता इन भूखे और बेसहारा लोगों को अवश्य अधिक है पर क्योंकि यह वोट बैंक नहीं है इसलिए अधिकांश राशन गोंड बस्ती की ओर जा रहा है चाहे कच्चा हो या बना हुआ अधिकांश गोंड परिवार गरीबी रेखा का राशन कार्डधारी है अवैध शराब व गांजा बेचने का अड्डा भी इनकी बस्तियो में हैं। उसके बाद भी यह लोग नरसिंह घाट पर दादागिरि पूर्वक इन गरीबों के मुंह का निवाला भी छीन लेते हैं यहां के भिक्षुक और मजदूर बताते हैं कि विरोध करने पर उन्हें धक्का दे दिया जाता है और बाहर कर दिया जाता है। प्रशासन को चाहिए कि यहां पर चौकीदार की ड्यूटी लगाई जाए ताकि अव्यवस्था और बीमारी का संक्रमण रोका जाए।
केरोना ब्लास्ट के इंतजार में नरसिंह घाट, हरसिद्धि मंदिर तक क्षेत्रवासी भयभीत, आंख मीच कर बैठा प्रशासन और पार्षद