अपुष्ट पोस्ट समाचार वीडियो ना चलाएं कार्यवाही होगी
कलेक्टर ने कहा है कि कतिपय व्यक्तियों द्वारा कोरोनावायरस से संबंधित झूठी खबरें ,संदेश, सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित किए जा रहे हैं। कलेक्टर ने निर्देश दिए है कि मध्य प्रदेश शासन लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा जारी एपिडेमिक डिसिज एक्ट 1897 के तहत कोविड-19 के संबंध में जारी रेगुलेशन क्रमांक 5 में किए गए प्रावधान के तहत कोई भी व्यक्त , संस्था ,संगठन किसी प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक या सोशल मीडिया के माध्यम से तथ्यों का सत्यापन किए बिना कोई समाचार यह प्रमाणित संदेश, रयूमर का प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रचारित करता है तो ऐसे व्यक्ति का कृत्य अपराधिक श्रेणी में होकर उक्त रेगुलेशन के तहत दंडनीय होगा।
कलेक्टर ने कहा है कि कतिपय व्यक्तियों द्वारा कोरोनावायरस से संबंधित झूठी खबरें ,संदेश, सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसारित किए जा रहे हैं। कलेक्टर ने निर्देश दिए है कि मध्य प्रदेश शासन लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा जारी एपिडेमिक डिसिज एक्ट 1897 के तहत कोविड-19 के संबंध में जारी रेगुलेशन क्रमांक 5 में किए गए प्रावधान के तहत कोई भी व्यक्त , संस्था ,संगठन किसी प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक या सोशल मीडिया के माध्यम से तथ्यों का सत्यापन किए बिना कोई समाचार यह प्रमाणित संदेश, रयूमर का प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रचारित करता है तो ऐसे व्यक्ति का कृत्य अपराधिक श्रेणी में होकर उक्त रेगुलेशन के तहत दंडनीय होगा।
जाने भारत सहित अन्य देशों में क्या कहते है फैक न्यूज के नियम
भारत के साथ अन्य किन देशों में फेक न्यूज को लेकर नियम बने हैं इस जानना आपके लिए जरुरी हो गया है। अब आपको बताते हैं किन देशों में इसको लेकर कड़े नियम हैं।
मलेशिया में फेक न्यूज को लेकर नियम
प्रमुख एशियाई देश मलेशिया में फेक न्यूज को लेकर सख्त नियम बने हैं। यहां पर अगर फेक न्यूज से किसी नागरिक को नुकसान होता है तो इसे फैलाने वाले पत्रकार पर तकरीबन 123,000 अमरीकी डॉलर का जुर्माना लगाया जाता है। इसके अलावा दोषी पत्रकार को 6 साल की कठोर सजा भी दी जा सकती है। फेक न्यूज के दायरे में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अलावा डिजिटल पब्लिकेशन और सोशल मीडिया को भी शामिल किया गया है।
थाइलैंड में सात साल तक सजा
फेक न्यूज को लेकर थाइलैंड में पहले से ही साइबर सुरक्षा कानून है। इसके तहत गलत सूचना देने वाले पत्रकार को सात साल की सजा हो सकती है। इसके अलावा सरकार लेसे मजेस्टिक कानूनों का भी पालन करती है जो लोगों को शाही परिवार का अपमान रोकने के लिए बनाया गया है।
सिंगापुर में भी फेक न्यूज को लेकर सख्ती
सिंगापुर में फेक न्यूज यानी पीत पत्रकारिता पर सरकार सख्त है। सिंगापुर सरकार झूठी खबर चलाने वाले मीडिया संस्थानों और पत्रकारों के खिलाफ कड़े नियम बना रही है। एक संसदीय कमेटी जान बूझ झूठी खबर फैलाने वाले पत्रकारों पर लगाम लगाने जा रही है। सिंगापुर इसके लेकर सुनवाई पिछले महीने 29 मार्च हो ही पूरी हुई है। कमेटी इस मामले में रिपोर्ट बना कर नया विधेयक मई में पेश करेगी।
फिलीपींस में 20 साल तक होगी सजा
फिलीपींस सरकार फेक न्यूज को लेकर कड़े नियम बना रही है। यहां की सरकार झूठी खबर फैलाने वाले आरोपी को 20 साल तक सजा देने के लिए कानून में बदलाव ला रही है। सरकार ऐसा प्रावधान कर रही है जिसके तहत फेक न्यूज फैलाने वाले मीडिया संस्थानों पर सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी। फिलीपींस के राष्ट्रपति ने झूठी खबर फैलाने के आरोप में एक न्यूजसाइट को बंद कर दिया है।
भारत में कड़े नियम करने की कयावद
भारत में भी जान बूझ कर झूठी खबर फैलाने के दोषी पाए जाने वाले पत्रकारों पर कड़ी कार्रवाई की अनुशंशा की गई है। हलांकि फर्जी खबरों के संबंध में जारी गाइडलाइंस को प्रधानमंत्री कार्यालय ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय को वापस लेने के लिए कहा है। सूचना प्रसारण मंत्रालय फेक न्यूज फैलाने पर दोषी पाए जाने वाले पत्रकारों की मान्यता पहले अस्थाई और बार-बार करने पर स्थायी तौर पर रद्द करने की बात कही थी।
पाकिस्तान में जेल और सजा दोनों का प्रावधान
पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी फेक न्यूज को लेकर कड़े नियम बनाए गए हैं। इसे रोकने के लिए साल 2016 में प्रिवेंशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक साइबरक्राइम्स एक्ट पास किया है। इसके तहत इस्लाम की गरिमा को ठेस पहुंचाने, किसी महिला की इज्जत पर कीचड़ उछालने और नफरत भरे न्यूज बरती गई है। इस कानून का उल्लंघन करने पर जेल और जुर्माना दोनों हो सकती है।
चीन में भी कड़े नियम
चीन ने भी इस मामले में कड़े नियम बना रखे हैं। कल यानी सोमवार को कम्युनिस्ट नायकों की पैरोडी पोस्ट करने वाली वेबसाइटों पर चीन ने जुर्माना लगाया है। अभी इस बात का खुलासा नहीं किया गया कि इन पर कितना जुर्माना लगाया गया है। वेबसाइटों पर आरोप था कि उसने कम्युनिस्ट नायकों की पैरोडी पोस्ट कर दी। चीनी सरकार का कहना है कि इन वेबसाइटों ने कम्युनिस्ट नायकों का मजाक उड़ाया जिसकी वजह से जुर्माना लगाया गया है।