उज्जैन। न्यायालय विशेेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) डॉ0 (श्रीमती) आरती शुक्ला पाण्डेय, अपर सत्र न्यायाधीश महोदय उज्जैन, के न्यायालय द्वारा आरोपी मनोहर उर्फ मामा पिता भागीरथ चौहान, उम्र 49 वर्ष, निवासी ग्राम टंकारिया पथ जिला उज्जैन को धारा 376(2)(आई)(जे)(एल) में आजीवन कारावास जो शेष प्राकृतिक जीवनकाल के लिये एवं धारा 363 भादवि में 03 वर्ष का सश्रम कारावास, धारा 342 भादवि में आरोपी को 01 वर्ष का सश्रम कारावास कुल 2,000/- रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। पीडिता को प्रतिकर प्रदाय करने हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उज्जैन को लिखा गया हैं।
उप-सचांलक (अभियोजन) डॉ. साकेत व्यास ने अभियोजन घटना अनुसार बताया कि घटना इस प्रकार है, कि फरियादिया ने दिनांक 27.01.2017 को आरक्षी केन्द नीलगंगा उज्जैन पर उपस्थित होकर इस आशय की रिपोर्ट लेखबद्ध कराई कि दिनंाक 25.01.2017 को सुबह करीब 08ः00 बजे वह इन्दौर चली गई थी। कल रात वह घर आई तो स्कूल में खाना बनाने वाली बाई ने बताया कि दिनांक 25.01.2017 को दिन के करीब 03ः00 से 03ः30 बजे उसकी लकडी पीडिता को आरोपी मनोहर स्कूल की बाथरूम में ले गया, तथा उसके साथ कुछ हरकते की, स्कूल के बच्चे बाथरूम करने गये, बाथरूम का दरवाजा बंद होने पर उन्होने चिल्लाचोंट की, तब स्कूल के बाथरूम का दरवाजा खोलकर आरोपी मनोहर वहॉ से भाग गया। पीडिता अन्दर मिली थी उससे पूछा तो उसने इशारे में बताया कि मनोहर हाथ पकडकर स्कूल के बाथरूम में ले गया था तथा उसके साथ गलत काम किया। पीडिता द्वारा उपनिरीक्षक दीपिका गोयल के समक्ष पूछताछ करने पर कोई स्पष्ट उत्तर इशारे में नही दे पाई। मुकबधिर जिला विकलंाग पुर्नवास केन्द्र के विशेषज्ञ एम.आर. व एस.आई. को तलब कर पीडिता का तात्कालिक परीक्षण मौखिक कराया गया। दोनो ने अभिमत दिया कि उक्त पीडिता शरीर एवं दिमागी तौर पर काफी कमजोर (मल्टीपल डिसएब्लिटी) है। जिसके कारण आई क्यू टेस्ट कराये जाने के उपरांत किसी नतीजे पर पहंुचा जा सकेगा। फरियादिया की रिपोर्ट पर आरोपी के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध की गई। विवेचना के दौरान पीडिता को आई.क्यू. टेस्ट कराया गया। पीडिता के कथन मुकबधिर स्पेशलिस्ट श्रीमती मोनिका पुरोहित से कराए गए। अनुसंधान के दौरान प्रकरण में आये तथ्यों के आधार पर धारा 376(2) भादवि व धारा 5/6 पोक्सों एक्ट की वृद्धि की गई। आवश्यक अनुसंधान पश्चात न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया। अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपी को दण्डित किया गया। विचारण के दौरान पीडिता के कथन विशेष प्रबोधक के माध्यम से लेखबद्ध की गई थी। जिसमें पीडिता द्वारा उगलियांें के इशारों से बताया था कि आरोपी द्वारा उसके साथ दुष्कर्म किया गया है।
मानसिक एंव शारीरिक रूप से निःशक्त बालिका के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी को आजीवन कारावास की सजा