शिप्रा के प्रदूषित होने पर प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी दिखाई गंभीरता


उज्जैन। मोक्षदायिनी शिप्रा के प्रदूषित होने पर प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी गंभीरता दिखाई है। उन्होंने शिप्रा समेत प्रदेश की सभी नदियों की शुद्घि के लिए 11 जनवरी को भोपाल में एक विशाल जल सम्मेलन तय किया है। इसमें प्रदेशभर के मंत्री समेत 500 जल योद्घा एवं जल सहेलियां शामिल होंगे। आयोजन की जिम्मेदारी जल पुरुष के नाम से ख्यात राजेंद्रसिंह को सौंपी गई है।


यह बात यहां बुधवार को झलारिया मठ में हुए राष्ट्रीय जल सम्मेलन के समापन सत्र में जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने मंच से कही। उन्होंने कहा कि उज्जैन में तीन दिवसीय जल सम्मेलन में मृत शिप्रा को पुनर्जीवित करने के लिए जो श्वेत पत्र तैयार किया है, वह भोपाल में होने वाले सम्मेलन में मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा। उनके उद्बोधन से पहले देश की 101 नदी घाटी से आए 250 से अधिक जल योद्घा और जल सहेलियों ने शिप्रा को पांच वर्ष में शुद्घ करने का संकल्प लिया। नदी एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य कर रहे मैग्सेसे अवार्ड प्राप्त जल पुरुष राजेंद्रसिंह, तेलंगाना जल बोर्ड के अध्यक्ष प्रकाश राव, कर्नाटक के पूर्व मंत्री बीआर पाटील, वैज्ञानिक एचएस साहूकार, गांधीवादी विचारक रमेश भाई, केरल के के. वेणुगोपाल, गंगाजल बिरादरी के मेजर हिमांशु, बुंदेलखंड के रामकृष्ण शुक्ला, राजमंदरी के प्रो. रमेश, ओडिसा के वितेंद्री, बिहार के पंकज मालवीय, दिल्ली के विजय राय, छतरपुर की पुनियाबाई, टीकमगढ़ की किरण, राजस्थान के रूणामल, ब्रजेश विजयवर्गीय का सम्मान किया गया। 


नदियों की शुद्घि के लिए आगे ये कार्यक्रम भी


5 और 6 जनवरी को हरिद्वार में गंगा की शुद्घि के लिए धरने पर बैठी साध्वी पद्मावती के समर्थन में गंगा सत्याग्रह किया जाएगा।


4 फरवरी से 6 फरवरी तक नासिक के त्रयंबकेश्वर से गोदावरी तक जल यात्रा।


10 फरवरी से 13 फरवरी तक तेलंगाना में गोदावरी पर सम्मेलन होगा।


14 फरवरी से 16 फरवरी को आंध्रप्रदेश की राजमंदरी में नदी संसद होगी।