हैदराबाद में डॉ के साथ योजनबद्ध तरीके से हुए दिल दहला देने वाले बलात्कार के हादसे का दर्द खत्म भी नहीं हुआ था कि मध्यप्रदेश के महू में महज पॉंच साल की बच्ची से दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी गई। इन मामलों को देखकर लगता है कि अपराधी कितने निर्मम और राक्षसी पृवत्ती के होते है क्योंकि बलात्कार के इन मामलों में न सिर्फ शरीर को पीडा और हानि होती है लेकिन जिनके साथ यह होता है उनकी आत्मा तक पीडित हो जाती है बलात्कार की पीडित कई दिनों, महिनों यहां तक की सालों तक इस हादसे से उभर नहीं पाती है। भारत में हर रोज न जाने कितनी लडकियों, महिलाओं और बच्चियों का बलात्कार होता है। कुछ मामले तो दबंगई और दबाव के चलते पुलिस थाने तक ही नहीं आ पाते और कुछ मामले जो आ जाते है उनमें कितनी सजा मिलती है पता और कब मिलती है इसका तो भगवान जाने.......
निर्भया कांड के बाद से केन्द्र और राज्य सरकार अपने-अपने स्तर से महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कानून बना रहीं है, और अपने सालाना बजट में भी महिला सुरक्षा के नाम पर हर साल बढोतरी करती है, लेकिन बलात्कार जैसे अमानविय कृत्य कम करने में नाकाम ही रहीं। छोटे शहर हो या बडे शहर चाहें गांव हो या कस्बा बलात्कार के मामले हर ओर से सुनाई देते है इस पर लोग अपना गुस्सा भी दिखाते है केंडल मार्च करतें है लेकिन कोई ठोस कदम कभी नहीं उठाए गए। महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने से पहले हमें अपने घर के लडकों कों भी इस बात पर यह सिखाना जरूरी है कि वह अपने पर सयंम रखें और किस तरह से समाज की हर लडकी की ईज्जत की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी खुद पर ले। सरकार चाहे कितने कानून बना ले कितनी ही सख्ती क्यों न कर लें लेकिन जब तक समाज खुद से इसके लिए कदम नहीं उठाएगा और ऐसे जघन्य अपराध करने वालों जब तक समाज सहारा देना बंद नहीं करेगा तब तक यह आंकडे कम नहीं हो सकते।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (हृष्टक्रक्च) 2016 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बलात्कार के मामले 2015 की तुलना में 2016 में 12.4 बढ़े हैं। 2016 में 38,947 बलात्कार के मामले देश में दर्ज हुए। इनमें सबसे ज्यादा केस 4,882 मध्य प्रदेश में हुए। वहीं, दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश रहा, जहां 4,816 बलात्कार के मामले दर्ज हुए। महाराष्ट्र तीसरे नंबर पर रहा, जहां 4,189 बलात्कार के मामले दर्ज हुए हैं। वहीं, भारत की राजधानी दिल्ली को ीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (हृष्टक्रक्च) के सालाना सर्वेक्षण के बाद महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर माना गया है।
बलात्कार के लिए भारत दंड संहिता में धारा 376 व 375 के तहत सजा का प्रावधान है। इसमें अदालत मौत की सजा भी सुना चुकी है। किसी भी महिला के साथ बलात्कार करने के आरोपी पर धारा 376 के तहत मुकदमा चलाया जाता है, जिसमें अपराध सिद्ध होने की दशा में दोषी को कम से कम पांच साल व अधिकतम 10 साल तक कड़ी सजा दिए जाने का प्रावधान है। कई मामलों में अदालत पर्याप्त और विशेष कारणों से सजा की अवधि को कम कर सकती है। 2012 के दिल्ली के निर्भया कांड के बाद संविधान संशोधन के जरिए आईपीसी की धारा 376 (ई) के तहत बार-बार बलात्कार के दोषियों को उम्रक़ैद या मौत की सज़ा का प्रावधान किया गया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बार-बार बलात्कार के दोषी को उम्रकैद या मौत की सजा देने के लिए आईपीसी की धारा में किए गए इस संशोधन की संवैधानिकता को बरकरार रखा। भारतीय दंड सहिता की धारा 376 (ई) में संशोधन के तहत बार-बार बलात्कार का अपराध करने वाले दोषी को उम्रकैद या मौत की सजा हो सकती है। मुंबई अदालत के जस्टिस बीपी। धर्माधिकारी और जस्टिस रेवती मोहिते डेरे ने शक्ति मिल्स सामूहिक बलात्कार कांड के तीन दोषियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए मौत की सजा सुनाई थी। धारा 376(ई) कहती है कि पहले अगर धारा 376, 376(ए), 376(डी) के तहत आरोपियों को दोषी पाया जा चुका है। बाद में अगर फिर से उन्हें इनमें से किसी एक धारा में दोषी पाया जाता है तो सजा के तौर पर उन्हें उम्रकैद या मौत की सजा दी जाएगी।
शरीर ही नहीं, आत्मा का भी बलात्कार...