उज्जैन । डॉ. अम्बेडकर का मानववादी चिन्तन वास्तव में ऐसे नए समाज के निर्माण की ओर उन्मुख था, जो नए मूल्यों और नए मानवीय सम्बन्धों पर आधारित है। डॉ. अम्बेडकर ने एक महान् संवैधानिक अधिवक्त्ता की भूमिका का निर्वाह किया है। बाबा साहेब के जीवन का मूल उद्देश्य ही भारत में सामाजिक समानता स्थापित करना था। बाबा साहेब भारत में सामाजिक समानता, आर्थिक खुशहाली, समान मानव अधिकार, प्रेम, सहयोग, सामाजिक सद्भाव तथा धार्मिक सहिष्णुता चाहते थे। उक्त विचार डॉ. ब्रह्मदीप अलूने, समन्वयक, व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ, उच्च शिक्षा विभाग, म.प्र. शासन, भोपाल ने विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की डॉ. अम्बेडकर पीठ द्वारा 'संविधान दिवसÓ पर 'डॉ. अम्बेडकर संविधान और वर्तमान भारतÓ विषय पर प्रशांति ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूटस में आयोजित व्याख्यान में कही। डॉ. अलूने ने कहा मौलिक अधिकारों के प्रति सजग रहना ही संविधान नहीं है, बल्कि मौलिक कर्तव्यों के प्रति संवदेनशील होना आवश्यक है। संविधानवेत्ता बाबा साहेब के सामाजिक न्याय व सामाजिक समानता की स्थापना तब होगी जब आज समाज में सामाजिक और आर्थिक विषमताओं को दूर कर नवचेतना को जाग्रत किया जाए। सामाजिक सहिष्णुता इस देश की आत्मा है। 'वसुधैव कुटुम्बकमÓ इस देश की संस्कृति है। भारत की पहचान धर्म से नहीं सांस्कृतिक गुणों से है और भारत की राष्ट्रीय संस्कृति का प्रतीक है हमारा संविधान। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रशांति ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूटस के ऐकेडमिक डायरेक्टर डॉ. राकेश ढण्ड ने की। डॉ. ढण्ड ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा समाजवादी समाज में संलग्न है संविधान की संरचना। सामाजिक परिवर्तन के दौर में तथा भूमण्डलीकरण की चुनौतियों के दौर में हमारा संविधान सभी नागरिकों के प्रति समान व्यवहार की गारंटी देता है। बाबा साहेब के मन में मनुष्य का मनुष्य के प्रति न्याय हो यह भावना प्रबल थी। बाबा साहेब की यही भावना हमारे संविधान में परिलक्षित होती है। उनकी मान्यता थी कि मनुष्य को न केवल भूख मिटाने के लिए रोटी चाहिए, अपितु मानसिक संतुष्टि के लिए अच्छे विचार भी आवश्यक हैं। डॉ. अम्बेडकर ने सामाजिक न्याय व सामाजिक परिवर्तन का विचार फलीभूत किया है। कार्यक्रम में स्वागत भाषण डॉ. अम्बेडकर की गतिविधियों का परिचय व संचालन पीठ की शोध अधिकारी डॉ. निवेदिता वर्मा ने किया। कार्यक्रम में प्रशांति ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूटस के उपाध्यक्ष श्री अविनाश गुप्ता, प्रशासनिक अधिकारी श्री राजीव गुप्ता, आई.टी.आई. के प्राचार्य श्री डी.एस. विश्नोई विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम में प्रशांति ग्रुप्स के शिक्षकवृंद व तीन संकायों के विद्यार्थीगण उपस्थित थे। कार्यक्रम में विशेष सहयोग श्री अंकुर टिटवानिया का रहा। आभार प्रदर्शन प्रशांति बी.एड. महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. ज्योति मैवाल ने किया।
संविधान का सम्मान मौलिक कर्तव्यों के पालन से करें - डॉ. ब्रह्मदीप अलूने