संविधान दिवस पर जाने संविधान बनने की प्रक्रिया, और सब कुछ जो आपको नहीं पता है


संविधान दिवस हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है, जिस दिन भारत के संविधान मसौदे को अपनाया गया था। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू होने से पहले 26 नवंबर 1949 को इसे अपनाया गया था। संविधान सभा के सदस्यों का पहला सेशन 9 दिसंबर 1947 को आयोजित हुआ। इसमें संविधान सभा के 207 सदस्य थे। संविधान की ड्रॉफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ बी आर अंबेडकर थे। इन्हें भारत के संविधान का निर्माता भी कहा जाता है। आपको बता दें कि सविधान सभा के सदस्यों ने हाथ से  लिखी गई दो कॉपियों (हिंदी और अंग्रेजी) पर हस्ताक्षर किए।



सर्वप्रथम यह जानना जरूरी है कि संविधान सभा क्या है? संविधान सभा चुने गए जनप्रतिनिधियों की जो सभा संविधान नामक विशाल दस्तावेज को लिखने का काम करती है उसे संविधान सभा कहते हैं । भारतीय संविधान सभा के लिए जुलाई 1946 में चुनाव हुए थे । संविधान सभा की पहली बैठक दिसंबर 1946 को हुई थी । इसके तत्काल बाद देश दो हिस्सो - भारत और पाकिस्तान - में बंट गया। संविधान सभा भी दो हिस्सो में बंट गई- भारत की संविधान सभा और पाकिस्तान की संविधान सभा। भारतीय संविधान लिखनें वाली सभा में 299 सदस्य थे । इसने 26 नवंबर 1949 में अपना काम पूरा कर लिया। संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ । इसी दिन कि याद में हम हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। भारतीय संविधान को पूर्ण रूप से तैयार करने में 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन का समय लगा था। भारतीय संविधान की अनुसूचियाँ भारत के संविधान में वर्तमान में आज भी केवल 395 अनुच्छेद ही है। एवं केवल इन अनुच्छेदों का विस्तार ही किया गया है। एवं संविधान में वर्णित 395 अनुच्छेदों के अतिरिक्त एक भी नवीन अनुच्छेद नही है।। वर्तमान में भारतीय संविधान में 12 अनुसूची और 22 भाग है भारत के मूल संविधान में आठ अनुसूचियाँ थी परन्तु वर्तमान में भारतीय संविधान में बारह अनुसूचियाँ है। संविधान में नौवी अनुसूची प्रथम संविधान संशोधन 1951, 10वीं अनुसूची 52वें संविधान संशोधन 1985, 11वीं अनुसूची 73वें संविधान संशोधन1992 एवं बाहरवीं अनुसूची 74वें संविधान संशोधन 1992 द्वारा सम्मिलित किया गया।



संविधान बनने की प्रकिया

200 सौ साल की गुलामी के बाद भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में सामने कैसे आया? इसकी कहानी बहुत दिलचस्प है। ब्रिटिश हुकूमत से मुक्ति के बाद देश में लोकतंत्र स्थापित करने के लिए एक संविधान की जरूरत महसूस हुई। लेकिन ये संविधान कैसा हो और कौन इसे बनाएगा। इस पर लंबा मंथन किया गया।


  • इस प्रस्ताव को 22 जनवरी 1946 को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। 

  • 1600 ईस्वीमें अंग्रेज ईस्ट इंडिया कंपनी के जरिए भारत आए। शुरूआत व्यापारिक कामकाज तक सीमित थी।  1775 में अंग्रेजों ने बंगाल, बिहार और ओडिशा के राजस्व और दीवानी न्याय के अधिकारों पर कब्जा कर लिया। 

  • पहली बार भारत शासन एक्ट 1919 के लागू होने के बाद 1922 में महात्मा गांधी ने किया था।

  • इसके बाद अगस्त 1928 में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई। 

  • इस समिति की रिपोर्ट नेहरू रिपोर्ट के नाम से मशहूर हुई।

  • 1934 में कांग्रेस कार्यकारी ने संविधान तैयार करने की मांग की।

  • पहली बार संविधान सभा के लिए औपचारिक रूप से एक निश्चित मांग पेश की गई।

  • 1936 के कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में संविधान सभा द्वारा संविधान निर्माण की मांग की गई।

  • 1938 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने घोषणा की कि भारत के संविधान का निर्माण व्यस्क मताधिकार के आधार पर चुनी गई संविधान सभा करेगी और इसमें कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं होगा। 

  • नेहरू की इस मांग को 1940 में ब्रिटिश सरकार ने स्वीकार कर लिया, जिसे अगस्त प्रस्ताव के नाम से जाना जाता है। 

  • 1942 में ब्रिटिश सरकार के कैबिनेट मंत्री सर स्टैफोर्ड क्रिप्स भारत के स्वतंत्र संविधान के प्रारूप के साथ भारत आए। 

  • क्रिप्स प्रस्ताव को मुस्लिम लीग ने अस्वीकार कर दिया।

  • मुस्लिम लीग भारत को दो स्वायत हिस्से में बांटने की मांग कर रहा था। 

  • 1946 में ब्रिटिश हुकूमत ने तीन सदस्यीय कैबिनेट मिशन भारत भेजा। इसमें लार्ड कैथिक लारेंस, सर स्टैफर्ड और एबी एलेक्जेंडर शामिल थे। 

  • कैबिनेट मिशन ने मुस्लिम लीग की दो संविधान सभाओं की मांग को खारिज कर दिया और कुछ अहम सुझाव दिए। 

  • आखिरकार कैबिनेट मिशन योजना के तहत सुझाए गए योजना के तहत जुलाई से अगस्त 1946 के बीच संविधान सभा की कुल 389 सीटों में से भारत के लिए आवंटित 296 सीटों पर चुनाव हुआ। इसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 208, मुस्लिम लीग को 73 और छोटे समूहों व स्वतंत्र सदस्यों को 15 सीटें मिली। 

  • देसी रियासतों के लिए अलग से 93 सीटें आवंटित थीं, लेकिन उन्होंने खुद को सभा से बाहर रखने का फैसला किया। 


नवंबर 1946 को संविधान सभा का गठन हुआ। जिसमें महात्मा गांधी को छोड़कर राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ी हर बड़ी शख्सियत शामिल थी। संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई। मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग को लेकर बैठक का बहिष्कार किया। 


  • पहली बैठक में कुल 211 सदस्यों ने हिस्सा लिया। 

  • सभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया। 

  • बाद में डॉ. राजेंद्र प्रसाद सभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 

  • 13 दिसंबर 1946 को पंडित नेहरू ने सभा के सामने पहली बार सभा के उद्देश्य सामने रखें।

  • इन उद्द्श्यों में ही दरअसल, सभा का ढांचा और उसके काम-काज की झलक थी। इसमें भारत को एक स्वतंत्र और संप्रभु गणराज्य घोषित किया गया।

  • ब्रिटिश भारत के सभी हिस्सों और इसमें शामिल की इच्छा रखने वाले सभी क्षेत्रों को संघ के दायरे में लाया गया।

  • संप्रभु भारत की सभी अधिकार और शक्तियों का स्रोत जनता को बनाया गया। 


इसमें अब 465 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियां हैं और ये 22 भागों में विभाजित है। इसके निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद, जो 22 भागों में बंटे थे और इसमें सिर्फ 8 अनुसूचियां थीं।

भारतीय संविधान 26 जनवरी, 1950 से प्रभाव में आया। इसलिए ही 26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं। दोनों ही भाषाओं में संविधान की मूल प्रति को प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा था। भारतीय संविधान के हर पेज को चित्रों से आचार्य नंदलाल बोस ने सजाया है। इसके अलावा इसके प्रस्तावना पेज को सजाने का काम राममनोहर सिन्हा ने किया है।