नागदा की बहुराष्ट्रीय लैंक्सेस उद्योग की जांच करने पहुंचा प्रदूषण विभाग का दल


उज्जैन/नागदा । उज्जैन जिले के बिड़लाग्राम नागदा में स्थित बहुराष्ट्रीय लैंक्सेस उद्योग प्रदूषण मापदंडों के मामले में अब जांच के घेरे में आ गया है। इस उद्योग में उपयोग किए जा रहे भूसे के भंडारण स्थान पर प्रदूषण विभाग के संभागीय कार्यालय उज्जैन से दो सदस्यों का जांच दल शुक्रवार को  शहर पहुंचा। मौेके पर हर पहलुओं को परखा गया। अब शीघ्र ही जांच रिपोर्ट को उच्च अधिकारियों का सौंपी जाएगी।
उज्जैन से नागदा पहुंचे प्रदूषण विभाग के जांच अधिकारी पी खरे ने दुरभाष पर कैलाश सलोनिया से बातचीत में इस बात की पुष्टि की है कि लैंक्सेस उद्योग की जांच की गई। अब शीघ्र जांच रिपोर्ट को संबधित अधिकारी को सौंपा जाएगा। यह जांच किसकी शिकायत पर हुई इस सवाल पर उन्होंने बताया कि योगेश शुक्ला निवासी नागदा की शिकायत पर जांच दल पहुंचा था। उधर जांच के मामले में उद्योग के एच,आरडी हैड पिंटूदास से संपर्क करने पर उन्होंने बताया वे इस बात से अनभिज्ञ हैकि प्रदूषण विभाग से उनके उद्योग के बारे में जांच के लिए कोई दल पहुंचा है।
शिकायतकर्ता ने यह बताया
शिकायतकर्ता योगेश शुक्ला से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि जांच अधिकारी के सूचना पर वे लैक्सेस कंपनी के उस स्थान पर पहुंचे थे जहां सैकड़ों टन भूसा शहर से 3 किमी दूर गांव उमरना के पास खूले मैंदान में पड़ा था। शुक्ला के मुताबिक जांच के दौरान लैंक्सेस के कुछ अधिकारी भी शामिल हुए। दो सदस्यों के जांच दल ने मौके पर पंचनामा भी बनाया।
क्या है भूसा का मामला
बिड़लाग्राम नागदा स्थित लैक्सेस उद्योग में कार्बनिक रसायनों का उत्पादन होता है। जिसमें थायोनिल क्लोराइड मुुख्य उत्पादन है। उद्योग ने एक पावर हाउस बना रखा है। इस पावर हाउस में भूसा को जलाकर बिजली पैदा की जाती है। इस प्रकार उद्योग में 24 घंटें भूसा को जलाया जाता है। इस भूसा का भंडारण कंपनी ने शहर से दूर जंगल में कर रखा है। आसपास गांवों से सोयाबीन आदि फसलों का भूसा कंपनी खरीदती है।
यह है शिकायत
शिकायत में यह बताया गया कि जिस स्थान पर भूसा का भंडारण हजारों टन में किया गया है, वहां पर सुरक्षा मापदंडों का पालन नहीं किया जा रहा है। भंडारण स्थल पर बाउंड्रीवाल का निर्माण नहीं है। कई बार भूसा भंडारण स्थल से उडकऱ सडक़ पर पहुंचता है। भंडारण स्थल के समीप से नागदा-खाचरौद मार्ग गुजर रहा है। इस रास्ते से हजारों राहगीर प्रतिदिन निकलते हैं। इन राहगीरों पर भूसे का प्रभाव पड़ता है। साथ ही जहां पर भूसे को जलाकर बिजली बनाई जाती है वह स्थान एक बस्ती के समीप है। उद्योग की चिमनी से भूसे का प्रदूषित धूंआ समीप की बस्ती मेहतवास आदि के लोगों पर प्रतिकुल प्रभाव डाल रहा है। कई लोगा बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।
केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड में प्रकरण पंजीबद्ध
शिकायतकर्ता ने बताया लैक्सेस उद्योग के प्रदूषण के खिलाफ  हाल में केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड नईदिल्ली ने भी प्रकरण जांच के लिए एक सप्ताह पहले पंजीबद्ध किया है। जिसकी सूचना उन्हें मिली है। उज्जैन कार्यालय को भी इस शिकायत की प्रति भेजी गई थी। केंद्रीय प्रदूषण कार्यालय ने यह जांच मप्र प्रदूषण कार्यालय भोपाल को सौंपी है। यह जांच आदेश केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की वैज्ञानिक गरिमा शर्मा ने जारी किया है। इस जांच आदेश की प्रति आर टी आई कार्यकर्ता कैलाश सलोनिया के पास सुरक्षित है।