भगवान विष्णु को प्रिय कार्तिक मास की पूर्णिमा मंगलवार 12 नवंबर को है। कार्तिक मास को पुण्य मास माना जाता है। इससे कार्तिक पूर्णिमा पर क्षिप्रा स्नान व दान का खास महत्व है। इस तिथि क्षिप्रा व अन्य नदियों में लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे। कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा व स्नान का विशेष महत्व है। इसलिए वहां लाखों लोग स्नान व पूजन को जुटते हैं।
महालक्ष्मी और केदार योग में कार्तिक पूर्णिमा का स्नान
पांचाग के हवालों से कार्तिक पूर्णिमा पर महालक्ष्मी ,केदार और वेशि योग का संयोग बन रहा है। चंद्रमा से मंगल के सप्तम भाव में रहने से महालक्ष्मी योग बनेगा। सभी ग्रहों के चार स्थानों पर रहने से केदार योग और सूर्य से द्वितीय भाव में शुभ ग्रह शुक्र के रहने से वेशि योग का संयोग है। मान्यता है कि कुश लेकर इस तिथि पर क्षिप्रास्नान या स्नान करने से सात जन्म के पापों का नाश हो जाता है। चर्मरोग व कर्ज से मुक्ति मिलने के साथ वैवाहिक संबंधों में आनेवाली परेशानियां भी दूर होती हैं।
कार्तिक पूर्णिमा - सोमवार सोमवार शाम 6.05 बजे से मंगलवार शाम 7.14 बजे तक, कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान का मुहूर्त, सुबह :6.59 से 9.16बजे, दोपहर 12 से 2.38 बजे
दीप दान से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं
कार्तिक पूर्णिमा पर क्षिप्रा में या तुलसी के समीप दीप जलाने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। देव दीपावली भी मनायी जाती है। इस तिथि को ही महादेव ने त्रिपुरासूर नामक राक्षस का संहार किया था।
कार्तिक पूर्णिमा पर ही मत्स्य अवतार - भगवान श्रीहरि ने कार्तिक पूर्णिमा पर ही मत्स्य अवतार लेकर सृष्टि की फिर से रचना की थी। भगवान श्रीकृष्ण ने इसी तिथि पर रास रचायी थी। वहीं सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्म भी इसी तिथि को हुआ था।
तुलसी का अवतरण भी कार्तिक पूर्णिमा को - कार्तिक पूर्णिमा को ही तुलसी का अवतरण हुआ था। तुलसी भगवान विष्णु को प्रिय हैं। और यह मास भी विष्णु का माना जाता है। इसलिए इसदिन क्षिप्रा स्नान,दान खास फलदायी होती है।
कल्पवास,भीष्म पंचक व्रत का समापन भी - कार्तिक पूर्णिमा पर ही भीष्म पंचक व्रत का समापन, कार्तिक मेला का शुभारंभ होगा। ऐसी मान्यता है कि इसदिन सभी देवी-देवता भी जाग जाएंगे। कार्तिक मास स्नान का भी समापन होगा। कार्तिक मास का कल्पवास भी कार्तिक पूर्णिमा के दिन संपन्न होगा।
क्या करें दान - अरवा चावल, जौ,तिल,मौसमी फल, लौकी में छिपाकर सिक्का दान विष्णु को चढ़ाएं गुलाब,मन की मुराद पूरी होगी कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु को तुलसी माला और गुलाब का फूल चढ़ाने से मन की सारी मुरादें पूरी होंगी। वहीं महादेव को धतूरे का फल और भांग चढ़ाने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलेगी।
तिल स्नान से शनि दोष से राहत मिलती - कार्तिक पूर्णिमा पर तिल स्नान करने से शनि दोष समाप्त हो जाते हैं। खासकर शनि की साढ़े साती,ढैय्या में। साथ ही कुंडली में पितृ दोष,गुरु चंडाल दोष,नंदी दोष की स्थिति में शांति मिलती है।
कार्तिक स्नान पर क्षिप्रा स्नान क्यों ? -कार्तिक मास में सारे देवता जलाशयों में छिपे होते हैं -भगवान श्रीहरि भी पाताल में निवास करते हैं -इस तिथि पर क्षिप्रा स्नान से एक हजार अश्वमेघ यज्ञ और सौ वाजस्नेय यज्ञ के समान फल -सालभर के क्षिप्रा स्नान और पूर्णिमा स्नान का फल मिलता है
कार्तिक पूर्णिमा क्यों है खास - -कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु चतुर्मास के बाद जाग्रत अवस्था में होते हैं। -भगवान विष्णु ने इसी तिथि को मत्स्य अवतार लिया था। -मत्स्य अवतार लेकर सृष्टि की फिर से रचना की -राक्षस त्रिपुरासूर का संहार किया -त्रिपुरासूर वध को लेकर देवताओं ने मनायी थी देव दीपावली -भागवत पुराण के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण ने रास रचायी थी -सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्मदिन