कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने क्षिप्रा में लगाई आस्था की डुबकी, दिखा मिनी सिंहस्थ सा नजारा


उज्जैन ।  सारे देवता जलाशयों में छिपे होते हैं -भगवान श्रीहरि भी पाताल में निवास करते हैं  -इस तिथि पर क्षिप्रा स्नान से एक हजार अश्वमेघ यज्ञ और सौ वाजस्नेय यज्ञ के समान फल -सालभर के क्षिप्रा स्नान और पूर्णिमा स्नान का फल मिलता है।  कार्तिक मास को पुण्य मास माना जाता है, कार्तिक पूर्णिमा पर क्षिप्रा नदी में स्नान व दान का खास महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा व स्नान का विशेष महत्व है। इस तिथि पर  मंगलवार को लाखो श्रद्धालुओं ने पुण्य पावन क्षिप्रा नदी में आस्था की डुबकी लगाई । लोग उज्जैन शहर के आलावा सपूर्ण मालवांचल और देश के कई हिस्सों से क्षिप्रा नदी में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ लेने आते हैं । कार्तिक पूर्णिमा पर क्षिप्रा नदी के राम घाट, नरसिंघ घाट व अन्य कई घाटों पर लाखों - हजारो श्रद्धालुओं का हुजूम देखने को मिला जिससे उज्जैन में मिनी सिंहस्थ न नजारा देखने को मिलाा।



दूर-दराज से आये श्रद्धालु - कार्तिक पूर्णिमा पर क्षिप्रा नदी में स्नान कर पुण्य लाभ उठाने के लिए देश के दूर - दारज से भी कई श्रद्धालु उज्जैन की पावन नगरी पहुंचे। श्रद्धालु एक दिन पहले से ही उज्जैन शहर में जमा होने लगे थे उज्जैन के आस-पास के गाँवों से श्रद्धालु परिवार सहित उज्जैन पहुंचे उन्होंने माँ क्षिप्रा के घाट पर स्नान कर पूजन अर्चन किया।  इसी तरह गुजरात के मेहसाणा से आये एक श्रद्धालु ने अग्निसाक्षी से बात करने पर बताया की वो आज सिर्फ कार्तिक पूर्णिमा पर क्षिप्रा नदी में स्नान करने और बाबा महाकाल के दर्शन के लिए ही आये है उन्होंने कई लोगो से कार्तिक पूर्णिमा पर क्षिप्रा नदी में स्नान करने के बारे में सुना था। 



दिखा मिनी सिंहस्थ सा नजारा - कार्तिक पूर्णिमा पर क्षिप्रा नदी में स्नान करने लिए रात से ही लोगो का हुजूम उज्जैन पहुँचने लगा था और सुबह सूरज की पहली किरण निकले के साथ ही लोगो ने पुण्य पावन माँ क्षिप्रा में डुबकी लगाकर कार्तिक पूर्णिमा स्नान का लाभ लेना शुरू कर दिया। श्रद्धालुओं की इतनी बड़ी तादाद देखकर मानो ये नजारा मिनी सिंहस्थ सा लग रहा था क्षिप्रा नदी के घाटों पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं का ताँता सुबह से शाम तक एक जैसा लगा रहा।



क्षिप्रा किनारे पिंड दान का लाभ - कार्तिक पूर्णिमा पर तिल स्नान करने से शनि दोष समाप्त हो जाते हैं। खासकर शनि की साढ़े साती, ढैय्या में। साथ ही कुंडली में पितृ दोष,गुरु चंडाल दोष,नंदी दोष की स्थिति में शांति मिलती है। साथ ही लोगो ने क्षिप्रा किनारे लोगो ने  पिंड दान कर अपने पितृ एवं अन्य के लिए मोक्ष की कामना की लेकिन पंडो द्वारा अपने निर्धारित स्थान के अतिरिक्त भी अतिक्रमण कर पूजन किया जा रहा था जिससे  आने जाने वाले श्रद्धालुओं को कठिनाईओ का सामना करना पड़ रहा था।  



निगरानी और समझाईश में तैनात रहा पुलिस बल - लाखो श्रद्धालुओं के क्षिप्रा स्नान आने पर पुलिस बल मुस्तैदी के साथ मोटर वोट के जरिये पुरे समय नदी में घूमकर लोगो को गहराई में न उतरने और तैराकी न करने की समझाईश देता रहा साथ ही बड़ी संख्या में आये श्रद्धालुओं के चलते किसी प्रकार की अप्रिय घटना न होने के लिए जगह-जगह निगरानी करता रहा।