उज्जैन । विशेष न्यायाधीश उज्जैन अलका दुबे द्वारा तहसील बडऩगर जिला उज्जैन के पटवारी विजयपाल सिंह को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 एवं 13 में चार-चार वर्ष सश्रम कारावास एवं दोनों धाराओं में कुल चार हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया गया। मामला इस प्रकार है कि फरियादी प्रकाश यादव निवासी ग्राम कारौद ने दिनांक 19.2.16 को पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त उज्जैन से इस आशय की शिकायत की गई थी कि नामांतरण कार्यवाही हेतु तहसील बडऩगर के हल्का नम्बर 18,19 के पटवारी द्वारा उससे 6000 रिश्वत की मांग की जा रही है। वह विजयपाल सिंह को रिश्वत नहीं देना चाहता बल्कि उसे रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है। शिकायत की तस्दीक वॉइस रिकॉर्डर के माध्यम से कराए जाने पर आरोपी विजयपाल द्वारा रिश्वत की स्पष्ट मांग की जाना पाया गया। जिसके बाद पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त के निर्देशन में निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव द्वारा ट्रैप कार्यवाही आयोजित कर दिनांक 23.2.16 को सिविल कोर्ट के सामने, जय मां कवलका रेस्टोरेंट, कोर्ट चौराहा, उज्जैन रोड, बडनगर, जिला उज्जैन में आरोपी पटवारी विजयपाल को फरियादी प्रकाश यादव से रिश्वत के 3000 रुपए लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। ट्रैप के समय आरोपी विजयपाल को रिश्वत के नोट लेने के बाद लोकायुक्त टीम ने मौके पर ही उसका हाथ घोल में धुलवाया तो घोल का रंग गुलाबी हो गया था। एफएसएल द्वारा अपने रासायनिक परीक्षण में आरोपी के हाथ धुलाने के घोल में फिनाफ्थलीन रसायन धनात्मक पाया था। विवेचना में अपराध प्रमाणित पाए जाने पर लोकायुक्त संगठन द्वारा आरोपी के विरुद्ध अभियोग पत्र न्यायालय में दिनांक 6.3.2017 को प्रस्तुत किया गया था। जिसमें विचारण उपरांत विशेष न्यायालय उज्जैन द्वारा आरोपी को दोष सिद्ध किया गया। माननीय विशेष न्यायालय द्वारा अपने निर्णय में टिप्पणी की गई कि भ्रष्टाचार एक ऐसा दावानल है, जिसकी जड़ें समाज में काफी गहरी है तथा नैतिक मूल्यों के ह्रास के कारण दिन पर दिन वह ऐसा विकराल रूप लेता जा रहा है जिसकी प्रचंड दावागनि में समाज की उन्नति, प्रगति और विकास के भस्म होने की संभावना है। समाज और देश की प्रगति के लिए भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना आवश्यक है और इसके दूरगामी दुष्परिणामों को रोकने के लिए न्यायालय को ऐसे अपराधों के प्रति कड़ा रुख ही अपनाना चाहिए। लोकायुक्त संगठन की ओर से विशेष लोक अभियोजक मनोज कुमार पाठक डी.पी.ओ. द्वारा प्रकरण में अभियोजन का संचालन किया गया। प्रकरण के विचारण में प्रधान आरक्षक जागन सिंह का अच्छा सहयोग रहा।
बडऩगर- पटवारी विजयपाल सिंह को भ्रष्टाचार के आरोप में दो धाराओं में चार-चार साल की सजा