उज्जैन। अगर शिक्षक अच्छे से पढ़ाई लेकिन विद्यार्थी परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन न करे तो भी कहने को आता है स्कूल का प्रदर्शन अच्छा नही है, ठीक वैसे ही निगमायुक्त प्रतिभा पाल द्वारा शहर की स्वच्छ्ता और सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ कड़ी कार्यवाही का रूख बना रखा है, लेकिन निगमकर्मियों की कही न कही लापरवाही के चलते निगम के कार्य पर भी सवाल उठ रहे है।
विगत दिनों शहर की स्वच्छ्ता का ठेका जिस ग्लोबल कंपनी के पास है उसकी खराब कार्यप्रणाली के चलते उस पर निगमायुक्त द्वारा 50 हजार के लगभग जुर्माना लगाया जा चुका है। शहर में कचरा फैलाने वालों पर आए दिन जुर्माने की कार्यवाही की जा रही है। किन्तु यह कार्यवाही लगातार शहर के मुख्य चोराहों और मार्गों पर की जा रही है किंतु भीतरी शहर में आवारा पशु, गंदगी पर अभी भी बहुत काम करना बाकी है। वार्डो में आवारा कुत्ते, सुवर और गायों के झुंड से काफ़ी परेशानी शहरवासियों को आ रही है जिसकी और निगम या तो ध्यान ही नही है या देख कर भी अनदेखा किया जा रहा है?
पशु मालिको के बताने पर कार्यवाही करता निगम अमला- 12 अक्टूबर की रात करीब 11-12 बजे निगम अमला वार्ड क्रमांक 47 में आवारा गायों को पकड़े पूरे दल-बल के साथ आया, करीब 10-15 निगमकर्मी और सहयोगी साथ मे थे लेकिन शायद उन्हें पूरे वार्ड में 1 भी गाय दिख ही नही रही थी।
निगमकर्मियों का ढील-पोल रवैया इसी बात से देखा जाता है कि जब वो आवारा गाय को पकड़ने वार्ड 47 में आये तो पहले तो सब उन्हें कही गाय नज़र ही नही आई और जब गाय सामने आई तो शायद उन्हें वो दिखाई ही नहीं दी। अब इसे लापरवाही कहे, देख के अनदेखा या पशु मालिको के साथ अधिक लगाव, क्योंकि जब जब गाय निगमकर्मियों के सामने से गुजर रही थी तभी उस गाय का मालिक उसे हकलाता हुआ ले जा रहा था। निगम के कार्य का यह तरीका कही न कही निगम के शहर को स्वच्छता की दौड़ में फिर से नंबर 1 ( 3 से 10 लाख आबादी) बनाने की बात पर प्रश्न उठती नज़र आ रही है। अब निगमायुक्त अपने कर्मियों से कैसे कार्य लेती है और उनकी कार्यशैली सुधराने पर क्या कार्य करती है यह देखने वाली बात रहेगी।